99 देशों पर साइबर अटैक: चपेट में ये देसी कंपनियां एवं सरकारी संस्थान

सचिन दवे/विनोद महंता, नई दिल्ली
दुनियाभर के 99 देशों पर हुए साइबर अटैक की चपेट में देश की कई कंपनियां भी आ गईं। रैनसमवेअर वानाक्राइ से प्रभावित हुईं कंपनियों में दो दक्षिण भारतीय बैंक, दिल्ली की दो मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां, बहुराष्ट्रीय कंपनी (एमएनसी) की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, मुंबई की एक दिग्गज कंपनी और एक एफएमसीजी कंपनी के मुख्यालय शामिल हैं। इनके अलावा, आंध्र प्रदेश पुलिस के 100 से ज्यादा कंप्यूटर भी इस भयावह हमले के शिकार हुए हैं।

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सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले से हुआ नुकसान और ज्यादा हो सकता है और प्रभावित कंपनियों की तादाद बढ़ सकती है। चूंकि यह हमला वीकेंड में (शुक्रवार को) हुआ है, इसलिए नुकसान का सही-सही आकलन सोमवार को ही किया जा सकता है जब सारे पर्सनल कंप्यूटर्स स्टार्ट किए जाएंगे।

EY इंडिया में पाटर्नर (फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऐंड डिस्प्यूट सर्विसेज) मुकुल श्रीवास्तव ने कहा, ‘भारतीय कंपनियां हालिया हमले की चपेट में आई हैं। पिछले एक साल में रैनसमवेअर के मामले बहुत बढ़ गए हैं। अब साइबर क्रिमिनल्स बेहद टेक सेवी हो चुके हैं और हरेक रैनसमवेअर की अपनी यूनीक एन्क्रिप्टिंग मशीनें हैं। ये हमले लगातार बाधा पहुंचाने और फिरौती वसूलने के मकसद से हो रहे हैं। इसलिए संगठनों को ऐसे खतरों का सामना करने के लिए गंभीर उपाय करने होंगे। हम साइबरक्राइम और रैनसमवेअर के खिलाफ समाधान प्रक्रिया में कई देसी एवं वैश्विक कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं।’

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शुक्रवार को मैलवेअर बड़ी तेजी से फैल गया और दुनियाभर की कंपनियों एवं सरकारी संगठनों में कंप्यूटर लॉक हो गए। दरअसल, रैनसमवेअर के डाउनलोड होते ही सभी कंप्यूटर लॉक हो गए और उनमें पड़े डेटा एन्क्रिप्ट कर लिए गए। हमलावर ने इन डेटा को रीस्टोर करने के लिए फिरौती की मांग की।

कंपनियां ऐसे हमलों से निपटने के लिए देश के जिन साइबर एक्सपर्ट्स को हायर कर रही हैं, उनके मुताबिक ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब भारतीय कंपनियों ने अपने प्रभावित कंप्यूटरों को दुबारा ऐक्सेस करने के एवज में फिरौती दी। यूके की नैशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएसएस) जैसे वैश्विक संस्थान और रेनॉ, फेडेक्स एवं टेलिफोनिका जैसी कंपनियों ने हमले से प्रभावित होने की जानकारी दी, लेकिन देश की एक भी कंपनी ने नहीं बताया कि उनके कंप्यूटर हमले के शिकार हुए हैं।

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि शुक्रवार को फैलाया गया मैलवेअर अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी का वही इटरनलब्लू टूल है जिसे अप्रैल महीने में द शैडो ब्रॉकर्स नाम के हैकर ग्रुप ने चुरा लिया था। दिग्गज साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी अवास्ट ने कहा कि उसने रैनसमवेअर और इसके विभिन्न रूपों के 75,000 मामले देखे।

एक साइबर सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट ने कहा, ‘इस हमला कुछ अलग है। इससे कोई एक बार इन्फेक्ट हो गया तो हो गया। इसे हटाने के लिए तीन से चार घंटे लगेंगे और पीसी रीबूट करना पड़ेगा। हालांकि, इसमें कोई नुकसान या कोई डेटा खत्म नहीं होता।’ साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारतीय कंपनियों पर रैनसमवेअर अटैक्स के मामले में एक सिलिसला सा जुड़ रहा है। पिछले तीन महीनों में 25 से 30 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब कंपनियां मैलवेअर का शिकार हुई हैं।

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