होली के रंग में रंगा नंदगांव

कपिल शर्मा, मथुरा

बरसाना की लठमार होली के बाद शनिवार को नंदगांव में भी लठमार होली खेली गई। बरसाना से नंदगांव आए हुरियारों ने यहां की हुरियारिनों से हंसी ठिठोली कर उन्हें रिझाने की कोशिश की। बदले में उन्हें लठ्ठों की मार मिली।

‘कल खेल आयौ बरसाने, आज होए तेरे द्वारे…’ आदि पदों का गायन करते हुए शनिवार सुबह बरसाने के हुरियारे नंदगांव पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। नंदभवन के दर्शनों के बाद बरसाने से आए हुरियारे दोपहर को नंद बाबा की बैठक स्थित यशोदा कुंड पहुंचे। यहां भांग और ठंडाई छान कर मस्ती की हिलोर लेते हुए हुरियारे हाऊबिलाऊ और दूध बिलौना के दर्शनों के बाद नंदबाबा के मंदिर पहुंचे।

प्रेम के लठ्ठ बरसाए

बरसाना से आए हुरियारों और नंदगांव के गोस्वामी समाज के लोगों का आमना-सामना हुआ। टेसू के फूलों के रंग और अबीर-गुलाल से सराबोर हुरियारों ने समाज गायन किया। शाम को नंदगांव की गोपियों से होली खेलने के लिए हाथों में ढाल, सिर पर स्वाफा और कलंगी लगाकर हुरियारे नंदमहल में एकत्र हो गए। वहीं कस्बा स्थित रंगीली चौक पर होली खेलने के लिए नंदगांव की सखियां सोलह श्रृंगार करके हाथों में लठ्ठ लेकर हुरियारों के इंतजार में खड़ी हो गईं। होली के पद गाते हुए जैसे ही हुरियारे रंगीली चौक पहुंचे नंदगांव की हुरियारिनों ने हुरियारों पर प्रेम के लठ्ठ बरसाए और हुरियारों ने घुटनों के बल बैठ कर अपनी ढाल से प्रेम रस से पगे इन लठ्ठो की मार से खुद का बचाव किया।

धार्मिक मान्यता

नंदगांव में होने वाली लठमार होली को लेकर धार्मिक मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाने की गोपियों और श्रीराधारानी से होली खेलने बरसाना आए तो बरसाना के लोगों ने भी नंदगांव की गोपियों से होली खेलने की हच्छा जताई। श्रीकृष्ण ने बरसाना के हुरियारों को अगले दिन नंदगांव होली खेलने आने का निमंत्रण दिया। बरसाना की होली के एक दिन बाद बरसाना के हुरियारे नंदगांव की गोपियों से होली खेलने गए। तभी से हर साल बरसाना की होली से ठीक एक दिन बाद नंदगांव में भी लठमार होली होती है।

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