हिंद-प्रशांत: भारत सहित 4 देशों की बैठक पर चीन का सवाल, हमें क्यों रखा दूर
|भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली चतुर्पक्षीय बैठक से टेंशन में आए चीन ने इस पर कोई सीधी प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन इस समूह से उसे दूर रखे जाने पर सवाल जरूर खड़े किए हैं। साथ ही चीन ने उम्मीद जताई है कि हिंद-प्रशांत की नई संकल्पना उसके खिलाफ नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने सोमवार को यह बात कही। बता दें कि यह बैठक रविवार को फिलीपींस के मनीला में हुई थी।
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हिंद-प्रशांत संकल्पना और चतुर्पक्षीय बैठक पर सवालों का जवाब देते हुए शुआंग ने कहा, ‘संबंधित प्रस्ताव पारदर्शी और समग्र होना चाहिए। साथ ही इसका राजनीतिकरण करने और संबंधित पक्षों को बाहर करने से बचा जाना चाहिए।’ यह पूछे पर कि संबंधित पक्षों को बाहर करने से उनका तात्पर्य चीन को इसमें शामिल नहीं करने से है, तो गेंग ने कहा कि चीन संबंधित देशों के बीच दोस्ताना सहयोग का स्वागत करता है। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि इस तरह के संबंध तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं होंगे और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल होंगे। यह आम संकल्पना है और मेरा मानना है कि इस तरह का रुख किसी भी प्रस्ताव पर लागू होता है।’
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एशिया-प्रशांत संकल्पना की जगह पर हिंद-प्रशांत संकल्पना को स्वरूप देते हुए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच रविवार को मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन से पहले पहली आधिकारिक स्तर की वार्ता हुई। इस सामरिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के बीच क्षेत्र को मुक्त और खुला रखने के लिए यह बैठक हुई। इस पहल का उद्देश्य इलाके में चीन के आक्रामक रुख का प्रतिरोध करना है। सभी देश इस बात पर सहमत हुए कि मुक्त, खुला, समृद्ध और समग्र हिंद-प्रशांत, क्षेत्र के सभी देशों और खासकर दुनिया के हितों के अनुकूल है।
इसके पहले अमेरिका ने कहा था कि एशिया-प्रशांत के स्थान पर नया शब्द हिंद-प्रशांत भारत के उभरते महत्व को दर्शाता है, जिसके साथ अमेरिका के मजबूत संबंध हैं। वाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि यह रणनीति निश्चित तौर पर चीन पर लगाम कसने के लिए नहीं है। हिंद-प्रशांत का व्यापक अर्थ हिंद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र से है जिसमें विवादित दक्षिण चीन सागर भी है जहां वियतनाम, मलयेशिया, फिलिपींस और ब्रूनेई लगभग पूरे जलमार्ग पर चीन के दावे पर सवाल उठाते हैं।
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