स्वदेशी को बढ़ावा: नई सरकारी खरीद नीति से देसी कंपनियों को मिलेगा 600 अरब डॉलर का कारोबार

नई दिल्ली
केंद्रीय कैबिनेट की ओर से बुधवार को मंजूर की गई सरकारी खरीद नीति के चलते मोदी सरकार की स्वदेशी प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा देने की कोशिशों को गति मिलेगी। सरकार की इस पहल से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस कंपनियों के लिए 600 अरब डॉलर यानी करीब 38 लाख 70 हजार 290 करोड़ रुपये से अधिक का बाजार मिलेगा। इस नीति के तरह मंत्रालयों और केंद्र सरकार के विभागों को 5 लाख रुपये अधिक की खरीद में स्वदेशी कंपनी को प्राथमिकता देनी होगी। इसके तहत स्वायत्त संस्थाएं, सरकारी कंपनियां और अन्य संस्थान भी आएंगे। ़

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सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि स्थानीय स्तर पर आय और रोजगार मुहैया कराने और घरेलू सामान और सेवाओं को प्रोत्साहन की नीति के तहत यह फैसला लिया गया है। हालांकि यह नीति 5 लाख रुपये से कम की खरीद में लागू नहीं होगी। इसके अलावा 50 लाख रुपये तक की खरीद में यदि नोडल मिनिस्ट्री की ओर से तय किया जाता है कि इस सेक्टर में निजी कंपनियां बेहतर हैं तो बोली में भारतीय सप्लायर को ही हिस्सा लेने की अनुमति होगी।

ऐसी स्थिति में जब 50 लाख रुपये से अधिक की खरीद में यदि स्थानीय स्तर पर कंपनियां बहुत प्रतिस्पर्धी नहीं होंगी तो सबसे कम दाम पर बोली लगाने वाले लोकल सप्लायर के पक्ष में विशेष नियम लागू होंगे। यदि सबसे कम बोली किसी भारतीय सप्लायर की ओर से नहीं लगती है और न्यूनतम बोली उसके द्वारा लगाई बोली के 20 पर्सेंट तक कम होती है तो उसे दोबारा मौका दिया जाएगा। इसके अलावा ऐसे प्रॉडक्ट्स की खरीद में जहां एक से ज्यादा सप्लायर्स को ऑर्डर देना पड़े और सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी बाहरी हो तो स्थानीय सप्लायर को भी आधा ऑर्डर दिया जाएगा। बशर्ते वह उसी कीमत पर सामान मुहैया कराने को तैयार हो।

ऐसे सप्लायर्स को माना जाएगा भारतीय
ऐसे सप्लायर्स को ही स्थानीय माना जाएगा, जिनके प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज में 50 पर्सेंट हिस्सा भारत का हो। नई नीति के तहत सप्लायर्स के लिए विदेशों में एक्सपोर्ट करने और पूर्व में अनुभव होने का सर्टिफिकेट भी नहीं देना होगा।

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