सीरिया में अमेरिका का मिसाइल अटैकः तीसरे विश्व युद्ध की आहट से सहमी दुनिया

दमिश्क
सीरिया में हुए रासायनिक हमले के बाद अमेरिका की सख्त सैन्य कार्रवाई से तनाव इस कदर बढ़ चुका है कि तीसरे विश्व युद्ध की आहट नजर आने लगी है। डर का आलम यह है कि अमेरिका के मिसाइल हमलों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हो चुका है, दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है। सीरिया में भड़की यह चिंगारी विकराल रूप लेकर कहीं विश्वयुद्ध में न तब्दील हो जाए, इसलिए विश्व नेताओं ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से तनाव न बढ़ाने की अपील की है।

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दरअसल सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के कट्टर समर्थक रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सीरिया के एयरबेस पर अमेरिका के हवाई हमलों के बाद मध्य-पूर्व के अपने इस सहयोगी देश का एयर-डिफेंस मजबूत करने का फैसला किया है। इससे इस बात की आशंका बढ़ गई है कि सीरिया में जारी तनाव रूस और पश्चिमी देशों के बीच आर-पार की लड़ाई का कारण बन सकता है।

अमेरिकी कार्रवाई से भड़का रूस
अमेरिका ने रासायनिक हमले के लिए सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को जिम्मेदार ठहराया है जबकि सीरियाई सेना इसके लिए विद्रोहियों को जिम्मेदार बता रही है। रासायनिक हमले में 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सख्त बयान जारी कर कहा था कि असद ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है और ‘कुछ न कुछ होना चाहिए’। ट्रंप के इस बयान के कुछ ही घंटों के बाद गुरुवार को अमेरिकी सेना ने सीरिया के अल-शयरात एयरबेस पर 50 से ज्यादा टॉमहॉक मिसाइलें दागी। मिसाइल हमले में एयरबेस को काफी नुकसान पहुंचा है। अमेरिका की इस कार्रवाई से रूसी राष्ट्रपति पुतिन भड़के हुए हैं। हमले से करीब आधे घंटे पहले अमेरिका ने रूस को सीरया में मिसाइल हमलों की जानकारी दी थी।

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सीरिया पहुंचा रूस का जंगी बेड़ा
अल-शयरात एयरबेस पर अमेरिकी हमले के तुरंत बाद रूस ने अपने जंगी बेड़े ऐडमिरल ग्रिगोरोविच को ब्लैक सी से डायवर्ट कर दिया। शुक्रवार को ऐडमिरल ग्रिगोरोविच सीरिया पहुंच गया। यह जंगी बेड़ा क्रूज मिसाइलों और सेल्फ-डिफेंस सिस्टम से लैस है।

विश्व नेताओं ने की रूस से तनाव न बढ़ाने की अपील
अमेरिकी मिसाइल हमलों के बाद रूसी और सीरियाई लड़ाकू विमानों ने विद्रोहियों के कब्जे वाले खान शेखों शहर में जबरदस्त हवाई हमले किए। इस बीच विश्व नेताओं ने रूस से और ज्यादा तनाव न भड़काने की अपील की है। शुक्रवार सुबह फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों ने कहा कि हम नहीं चाहते कि तनाव और भड़के।

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क्यों व्यापक रूप ले सकती है सीरिया की लड़ाई
सीरिया पिछले 6 सालों से ज्यादा समय से गृहयुद्ध की चपेट में है। राष्ट्रपति बशर अल असद को लेकर दुनिया के देश साफ तौर पर दो खेमों में बंटे हुए हैं। असद पर विरोधियों और विद्रोहियों के सख्ती से दमन के आरोप लगते रहे हैं। असद अमेरिका की आंखों की किरकिरी की तरह है तो रूस के दुलारे हैं। रूस के अलावा ईरान, उत्तर कोरिया, इराक, अल्जीरिया, वेनेजुएला, लेबनान और बेलारूस को असद का समर्थक माना जाता है। दूसरी तरफ अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, तुर्की, कनाडा, सऊदी अरब, इजरायल और कतर जैसे मुल्क असद के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। यही वजह है कि अगर तनाव ज्यादा बढ़ा तो सीरिया की लड़ाई व्यापक रूप ले सकती है और सीरिया तीसरे विश्वयुद्ध का मैदान बन सकता है।

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