सातवें पे कमीशन के लागू होने के तुरंत बाद बढ़ सकती है जजों की सैलरी

समन्वय राउतरे, नई दिल्ली
सरकार को सातवें पे कमिशन की सिफारिशों के लागू होने के एक सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की सैलरी बढ़ानी पड़ सकती है। रैंक के लिहाज से वेतन में समानता सुनिश्चित करने के मकसद से ऐसा करना जरूरी होगा।

सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि पे कमिशन की तरफ से प्रस्तावित नए स्केल से जजों की सैलरी ब्यूरोक्रेट्स से कम हो जाएगी और इस अंतर को आमतौर पर पे कमिशन की सिफारिशों के अमल के एक सप्ताह के भीतर ठीक किया जाता है। अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि पिछली बार यानी छठे पे कमिशन को लागू करने पर सरकार को ज्यूडिशल ऑफिसर्स के एरियर पर 40 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे।

सातवें पे कमिशन की सिफारिशें को मई-जून 2016 से लागू किया जा सकता है। हालांकि, तकनीकी तौर पर यह 1 जनवरी से अमल में आएगा। अधिकारी के मुताबिक, जजों और ज्यूडिशल अफसरों की सैलरी में बढ़ोतरी से जुड़ा नोटिफिकेशन इसके तुरंत बाद जारी होगा। सुप्रीम कोर्ट के जज को फिलहाल तमाम कटौतियों के बाद सैलरी और भत्ते के रूप में 1.5 लाख रुपये महीना मिलता है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को इससे ज्यादा सैलरी मिलती है, जबकि हाई कोर्ट के जजों को इससे कम। इस राशि में रेंट-फ्री घर शामिल नहीं होते हैं। जजों को नौकरी के दौरान रहने के लिए घर भी मिलते हैं।

परंपरा के मुताबिक, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को कैबिनेट सेक्रेटरी के बराबर सैलरी मिलती है, जबकि बाकी जजों की सैलरी सीनियर सरकारी अधिकारों के बराबर होती है। राज्यों में हाई कोर्ट के जजों की सैलरी प्रिंसिपल सेक्रटरी के बराबर है। सातवें पे कमिशन में कैबिनेट सेक्रेटरी की ग्रॉस सैलरी 2.5 लाख रुपये प्रति महीना तय की गई है, जबकि भारत सरकार के जॉइंट सेक्रटरी के लिए सैलरी 2.25 लाख रुपये होगी। पे कमिशन ने सैलरी में तकरीबन 23 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है। वेतन में बराबरी सुनिश्चित करने के लिए जजों की सैलरी में बढ़ोतरी करनी होगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की सैलरी से जुड़े कानून में संशोधन करना होगा। संसद के बजट सत्र के दौरान इस कानून में संशोधन किया जाएगा।

2009 के एक्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सैलरी 1 लाख रुपया प्रति महीना है, जबकि बाकी टॉप जजों की सैलरी 90,000 रुपये है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भी सैलरी 90,000 रुपये है, जबकि बाकी जजों को 80,000 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा जज डीए और बाकी भत्तों के भी हकदार हैं। साथ ही, उन्हें ट्रैवलिंग भत्ते के अलावा स्टाफ कार और हर महीना 200 लीटर पेट्रोल की भी सुविधा मिलती है। जजों की फ्री मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

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