सचिन और बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट स्थापित कर देश के उद्योग जगत में अंबानी के बाद के युग का आगाज किया

समिधा शर्मा, नई दिल्ली
ऐमजॉन के बेंगलुरु ऑफिस में काम करने के एक साल बाद सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने नौकरी छोड़कर ऐसी ही एक कंपनी बनाने का फैसला कर लिया। उस वक्त दोनों की उम्र 26-27 वर्ष की थी। साल 2006 में ऐमजॉन के इंडिया डिवेलपमेंट सेंटर में पहली बार मिले सचिन और बिन्नी ने एक अन्य साथी के साथ एक ऑनलाइन कंपैरिजन साइट शुरू करने की रूपरेखा तैयार की। तीसरे साथी ने तो जॉइन नहीं किया, लेकिन सचिन और बिन्नी इस ओर कदम बढ़ा दिया।

डील से फ्लिपकार्ट के कई कर्मचारी मालामाल

आईआईटी दिल्ली में एक बैच के अंतर वाले दोनों दोस्तों ने अपनी कंपनी बनाने के लिए ऐमजॉन का बैक-एंड ऑफिस छोड़ दिया। तब अमित अग्रवाल ऐमजॉन के बेंगलुरु ऑफिस का संचालन अमित अग्रवाल के नेतृत्व में हो रहा था जो अब कंपनी के इंडिया हेड बन चुके हैं। सचिन, बिन्नी और अग्रवाल को तब इसकी थोड़ी भी भनक नहीं थी कि अगले कुछ वर्षों में ही वे इंडियन ई-कॉमर्स मार्केट पर दबदबे के लिए आक्रामक प्रतिस्पर्धा कर रहे होंगे।

फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट डील की 10 बड़ी बातें

ऐमजॉन भारत के ऑनलाइन रिटेल मार्केट में उतरने से अभी 6 साल दूर था कि अक्टूबर 2007 में फ्लिपकार्ट ने बेंगलुरु में ही दफ्तर बनाकर ऑनलाइन बुकस्टोर के रूप में बिजनस का शुभारंभ कर दिया। शुरुआती दिनों में सचिन फ्लिपकार्ट का टेक, प्रॉडक्ट और मार्केटिंग डिपार्टमेंट संभाल रहे थे जबकि बिन्नी ने बैक-एंड, किताबों की कीमत तय करने और संचालन की जिम्मेदारी निभा रहे थे। शुरुआत में ही फ्लिपकार्ट जॉइन करनेवाले कुछ लोगों में एक ने बताया, ‘सचिन ने सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) पर इतना शानदार काम किया कि लॉन्चिंग के कुछ वर्षों में ही फ्लिपकार्ट को इतना ट्रैफिक मिलने लगा कि उसे विज्ञापन से हर महीने 10 से 12 लाख रुपये तक मिलने लगे। इतनी रकम कंपनी चलाते रहने के लिहाज से पर्याप्त थी।’

फ्लिपकार्ट: बिग डील से क्यों गायब रहे सचिन?

जून 2009 में फ्लिपकार्ट का रजिस्ट्रेशन प्राइवेट लि. कंपनी के रूप में करवा दिया गया और 10 लाख डॉलर की बाहरी फंडिंग भी जुटा ली गई। ये पैसे ऐसेल पार्टनर्स, सिलिकन वैली के मार्की वेंचर कैपिटल फंड और फेसबुक के एक निवेशक से किस्तों में मिले थे। फिर न्यूयॉर्क के इन्वेस्टमेंट फंड टाइगर ग्लोबल के ली फिक्सेल ने फ्लिपकार्ट में निवेश किया और फ्लिपकार्ट को ई-बुक स्टोर से फुल ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म में तब्दील कर दिया गया। फ्लिपकार्ट को पिछले 11 वर्षों में 6 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त हो चुका है।

फ्लिपकार्ट: दुनिया की सबसे बड़ी ईकॉमर्स डील

कंपनी के शुरुआती दिनों में निवेश करनेवाले ने बताया, ‘सचिन और बिन्नी का सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि दोनों ने अपनी कंपनी के टेक प्लैटफॉर्म के पीछे युवा पीढ़ी की फौज खड़ी कर दी जिसने फ्लिपकार्ट को ऐमजॉन से मुकाबले के काबिल बना दिया। फ्लिपकार्ट देश का पहला इंटरनेट स्टार्टअप बन गया जिसने प्रॉडक्ट में देसी टैलंट को तवज्जो दिया। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि फ्लिपकार्ट ने देश के उद्योग जगत में अंबानी के बाद के युग को दिशा दी।’

कैपिटल फंड मैटिक्स पार्टनर्स के एमडी अवनीश बजाज ने कहा, ‘सचिन और बिन्नी की कड़ी मेहनत को पुरस्कार मिला है। इससे भारत में आंट्रप्रन्योर्स को बढ़ावा मिलेगा। वे दोनों रोल मॉडल बन गए हैं।’ सचिन को भारतीयों के मिजाज के मुताबिक कैश ऑन डिलिवरी का विकल्प देने, शुरुआती सालों में साइट पर ट्रैफिक बढ़ाने और बाहरी निवेशकों से फंड लाने का श्रेय दिया जाता है। वहीं, बिन्नी ने ऑपरेशंस, सप्लाइ चेन और लॉजिस्टिक को मजबूत बनाया जो ऑनलाइन रिटेल कंपनी के लिए सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण पहलू होता है।

फ्लिपकार्ट के एक अन्य पुराने कर्मचारी का कहना है, ‘9 साल तक फ्लिपकार्ट सीईओ रहे सचिन ने बिन्नी और इसकी शुरुआती टीम के साथ काम शुरू किया था, तब बड़ी तमन्नाएं थीं। कई उतार-चढ़ाव के बावजूद मार्केट में बने रहना ही फ्लिपकार्ट और इसके संस्थापकों के बारे में बताने के लिए काफी है। 2014 तक इसका गोल्डन पीरियड था, लेकिन इसके बाद ऐमजॉन बढ़ना शुरू हुआ। मगर पिछले एक साल में जब स्थिति बदल गई और वॉलमार्ट आ रहा है तो फ्लिपकार्ट के सामने खड़े कई सवाल दोबारा सर उठाएंगे।’

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

Latest Business News in Hindi – बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times