संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी, पिता बोले- हमारे ऐसे संस्कार नहीं

कानपुर
मध्य प्रदेश में हुए ट्रेन ब्लास्ट के बाद पुलिस की कार्रवाई में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों के बाद उनका परिवार सहम गया है। घर के दरवाजे बंद हैं और कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। बुधवार दोपहर मीडिया के सामने आए इमरान, फैसल और दानिश के पिता नसीम अहमद ने कहा कि न मेरे संस्कार ऐसे थे और न बेटों के संस्कार ऐसे थे।
तिवारीपुर इलाके में रहने वाले नसीम ने कहा कि मैंने जानबूझकर ऐसे इलाके में मकान लिया, जहां हिंदू संस्कृति मिले। इससे बच्चों को समाज में घुलने-मिलने में आसानी होती है।

उन्होंने कहा, ‘ मेरे बेटे बेकसूर हैं। पूरे मामले की ईमानदारी से जांच होनी चाहिए। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या हो रहा है। मैं तो कल दवा लेने शहर गए था। टीवी से पता चला कि बेटों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। रिश्तेदारों ने फोन पर मुझे कहा कि अब आप वहां न जाएं। माहौल ठीक नहीं है। कल सुबह घर जाएं।’

उन्होंने कहा कि वे कभी देश के बाहर नहीं गए। दो-ढाई महीने पहले दानिश को मैंने काम न करने पर डांटा था। इसके बाद वह नाराज होकर घर से चला गया था। फैसल के लैपटॉप और मोबाइल में मिली आपत्तिजनक चीजों पर कहा कि वह हर तरह का साहित्य पढ़ता था- हिंदू, इसाई और मुस्लिम भी। ऐसे लोग जो देशद्रोही हैं, हमारा उनसे कोई रिश्ता नहीं है। हम देश से प्रेम करने वाले लोग हैं। कभी तीनों बेटों की कोई गतिविधि संदिग्ध नहीं मिली। ईमानदारी से दूध का दूध, पानी का पानी होना चाहिए। अफसोस है कि मेरे जीते जी क्या हो रहा है।

दो परिवार आपस में रिश्तेदार
सैफुल्लाह के पिता सरताज और फैसल, इमरान, दानिश के पिता रिश्ते में भाई हैं। सूत्रों का कहना है कि एक ही परिवार के इतने लड़कों का एक साथ केस में फंसना कुछ शक पैदा कर रहा है। उल्लेखनीय है कि सैफुल्लाह लखनऊ में आतंक विरोधी अभियान के दौरान मारा गया है। उसके पिता ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया है।

आतिफ के घर में सिर्फ महिलाएं
वहीं, मध्य प्रदेश में गिरफ्तार आतिफ मुजफ्फर जाजमऊ की केडीए कॉलोनी का रहने वाला है। उसके पिता मुजफ्फर नदवी का 4-5 साल पहले निधन हो गया था। आतिफ मोहल्ले के लोगों से कम ही बात करता था। वह लोगों को मस्जिद में सिर्फ नमाज के वक्त दिखता था। उसके घर में तीन बहनें, एक भाई और मां है। इन्फेक्शन के चलते भाई हॉस्पिटल में भर्ती है जबकि बहनें और मां किसी भी हालत में मीडिया से बात करने को तैयार नहीं हैं। वे कैमरे देखते ही अंदर जाकर गेट बंद कर लेती हैं। आसपास के लोगों के मुताबिक, इस परिवार से लोगों को संपर्क बेहद सीमित था। हालांकि, आतिफ बेहद सीधा-सादा था। लोग उसके ब्लास्ट में शामिल होने की बात पर भरोसा नहीं कर रहे हैं।

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