‘संथारा’ पर फैसले के खिलाफ जैन समुदाय का प्रदर्शन

मुजफ्फरनगर
जैन समुदाय के हजारों लोगों ने जैन धर्म की एक विशेष प्रथा ‘संथारा’ को राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के खिलाफ जिले में जुलूस निकाला। इस जुलूस के संयोजक अशोक कुमार जैन ने कहा कि समुदाय के लोग विरोध प्रदर्शन के लिए निकाले गए इस जुलूस में शामिल हुए।

कल टाउन हॉल से शुरू हुआ यह जुलूस कलेक्ट्रेट पर खत्म हुआ। उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी भेजा। ऐसी ही विरोध रैलियां जिले के पड़ोसी शहरों खतौली और बुधाना में भी निकाली गईं। संथारा जैन धर्म की एक प्रथा है, जिसमें उपवास रखकर स्वेच्छा से मृत्यु को गले लगाया जाता है।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 10 अगस्त को जैन धर्म की प्रथा ‘संथारा’ को अवैध करार देते हुए इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत दंडनीय ठहराया। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘संथारा या आमरण उपवास जैन धर्म का कोई अनिवार्य नियम नहीं है।’

न्यायालय ने कहा कि इसे ‘मानवीय’ नहीं कहा जा सकता और यह मौलिक मानवाधिकार का उल्लंघन करता है। ‘संथारा’ की वैधता को चुनौती देते हुए वर्ष 2006 में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।

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Navbharat Times