शंख बजाने से होने वाले फायदों पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज करेगा रिसर्च

प्रवीण मोहता, कानपुर
बढ़ती भागदौड़ और टेंशन ने सबसे ज्यादा नुकसान दिल का किया है। लेकिन अगर शंख बजाने से दिल और फेफड़े दुरुस्त हो जाएं तो क्या कहेंगे! मंगलवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की एथिक्स कमिटी ने ऐसे ही एक रीसर्च प्रॉजेक्ट को अप्रूवल दिया है। प्रॉजेक्ट के इनवेस्टिगेटर डॉ विनय कृष्णा के अनुसार, शंख सदियों से हमारी परंपराओं का हिस्सा रहा है। इसके फायदों की प्रमाणिकता के लिए साइंटिफिक टेस्ट किए जाएंगे। कई मुस्लिमों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है।

कानपुर के लक्ष्मीपति सिंहानिया इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियॉलजी में हर साल दिल के मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी हो रही है। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर टेंशन को इसकी सबसे बड़ी वजह मानते हैं। इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉ विनय कृष्णा के अनुसार, शंख बजाने से होने वाले तमाम फायदों की बात अब तक की गई है, लेकिन कहीं भी इस पर साइंस के पहलू से मुहर नहीं लगी। इन फायदों की वैज्ञानिक प्रमाणिकता के लिए यह रिसर्च प्रॉजेक्ट शुरू किया जाएगा।

ऐसे होगी टेस्टिंग
कृष्णा के मुताबिक, 35 से कम उम्र के 50 लोग, 35-50 के बीच 50 और 50 साल से ज्यादा उम्र के 50 लोगों के हार्ट का टेस्ट होगा। उनकी पल्स चेक की जाएगी और फेफड़ों का फंक्शन भी देखा जाएगा। इसके बाद इन्हें शंख बजाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। 3 महीने तक ये लोग रोज तय वक्त तक अपने घर में शंख बजाएंगे। इसके बाद दोबारा से ईको कार्डियॉग्रफी के अलावा पल्स और लंग्स टेस्ट होंगे। इससे साफ हो जाएगा कि क्या वाकई में शंख बजाने से हमारे शरीर पर कोई असर पड़ रहा है या यह सिर्फ एक धारणा है। इस रिसर्च प्रॉजेक्ट का हिस्सा कई डॉक्टर भी हैं। कई योग टीचर्स के अलावा मुस्लिमों ने भी प्रॉजेक्ट का हिस्सा बनाने की इच्छा जताई है।

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