विकास की कीमत पर सस्ती बिजली, पानी देगी AAP?
|इस पर सालाना करीब 1950 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो विकास कार्यों के लिए मंजूर बजट का 11 पर्सेंट है। दूसरी ओर केजरीवाल सहित पार्टी के रणनीतिकार अपने इस रुख पर कायम हैं कि बिजली कंपनियों के ऑडिट और अनियमितताओं पर रोक के बाद लागत और दरों में भारी कमी आएगी।
वित्त विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘फिलहाल सब्सिडी ही रास्ता है। अगस्त में 31 मार्च तक के लिए केंद्र से 260 करोड़ की सब्सिडी मिली थी, जिस पर 200 यूनिट तक के बिल पर 30 पर्सेंट और 400 यूनिट तक के बिल पर 15 पर्सेंट की छूट दी जा रही है। 400 यूनिट तक 50 पर्सेंट छूट देने के लिए करीब 1400 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। कंपनियां पहले ही डीईआरसी से रेट में 10 से 15 पर्सेंट बढ़ोतरी की गुहार लगा चुकी हैं। अगर यह बढ़ोतरी हुई तो सालाना खर्च 1600 करोड़ तक पहुंच जाएगा। रोजाना 600 लीटर फ्री पानी के लिए 350 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। कुल 1950 करोड़ खर्च होंगे, जो दिल्ली सरकार के योजनागत या विकास खर्चों का 11 पर्सेंट होगा।’
यह पूछे जाने पर कि इस कटौती के लिए और क्या विकल्प हो सकते हैं, अधिकारी ने कहा, ‘कोई विकल्प नहीं है। गैर योजनागत खर्चों से आप किसी की सैलरी काटकर तो छूट दे नहीं सकते। जाहिर है विकास योजनाओं की दूसरी मदों में होने वाले खर्च इधर शिफ्ट होंगे। सरकार को कहीं न कहीं समझौता करना ही पड़ेगा।’
पार्टी की प्रमुख रणनीतिकारों में से एक आतिशी मार्लेना ने कहा, ‘हमारे पास हर खर्च का प्लान है, सब्सिडी सिर्फ शुरुआती उपाय है। डेढ़ महीने को छोड़ दें तो अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार अपना बजट लाएगी और तय करेगी कि किस मद में कितना खर्च करना है। दिल्ली का प्लान्ड बजट हर साल 15 से 20 पर्सेंट बढ़ता आया है। रेवेन्यू भी बढ़ेगा। लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कंपनियों के ऑडिट, बढ़ाचढ़ाकर दिखाए गए मुनाफे और अनियमितताओं पर शिकंजा कसने के बाद सभी आंकड़े बदल जाएंगे। इसके अलावा हम दिल्ली में अपना पावर प्लांट लगाना चाहते हैं, जिससे काफी डिमांड पूरी होगी। हमारी योजना सोलर पावर से 20 पर्सेंट तक डिमांड पूरी करने की भी है।’
पार्टी सूत्रों ने बताया कि बिजली की तरह ही किफायती पानी के लिए नई सरकार ‘जल स्वराज’ नामक एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम करेगी। इसका मकसद सप्लाई चेन में बर्बाद होने वाले 40 पर्सेंट पानी को उपभोक्ता तक पहुंचाना है। इससे प्रति उपभोक्ता को 150 लीटर पानी की बचत होगी।
शीला दीक्षित सरकार में पावर सेक्रटरी, फाइनैंस सेक्रटरी और डीएसआईआईडीसी के सीएमडी रह चुके शक्ति सिन्हा ने बताया, ‘दिल्ली में बिजली सप्लाई और पानी सप्लाई बढ़ाने की जो भी योजना आप लेकर आएंगे, वह लंबी अवधि की होगी। महीने दो महीने में कुछ भी नहीं होने वाला। कंपनियां भी बिजली खरीदकर ला रही हैं। शुक्र मनाइए कि प्राइवेटाइजेशन के बाद डिस्ट्रीब्यूशन लॉस 55 पर्सेंट से घटकर 15 पर्सेंट हो गया है। जहां तक दिल्ली में पावर प्लांट लगाने की योजना है, इससे कोई फायदा नहीं होने वाला। पावर जेनरेशन का खर्चा, बिजली खरीदने से ज्यादा पड़ेगा। आप कोयला कहां से लाएंगे? इंस्टॉलेशन, ऑपरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन का खर्च जोड़ें तो बाहर से बिजली खरीदना कहीं ज्यादा किफायती पड़ेगा।’
सिन्हा ने कहा कि बिजली कंपनियों की अनियमितताएं रोककर या करप्शन घटाकर आप कीमतें घटा सकते हैं। लेकिन दूसरे वैरिएबल्स को नजअंदाज मत कीजिए। कंपनियां रहेंगी या भाग जाएंगी? जितना पर्सेंट करप्शन घटेगा, उतने पर्सेंट लोग बाहर से आकर दिल्ली में शिफ्ट होंगे। यह दुनिया भर में देखा गया है कि जनसंख्या का रुझान हमेशा बेहतर सिस्टम की तरफ होता है। अतिरिक्त उपभोक्ताओं से नई डिमांड पैदा होगी, वह भी आप को ही पूरा करना है।
फिलहाल दिल्ली में 200 यूनिट तक खर्च वाले उपभोक्ताओं को बिजली 4 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिलती है। केंद्र सरकार की सब्सिडी के बाद कीमत 3 रुपये पड़ती है और नई सरकार की 50 पर्सेंट सब्सिडी के बाद उपभोक्ताओं को सिर्फ 2 रुपये प्रति यूनिट भरना होगा। इसी तरह 200 से 400 यूनिट खर्च करने वालों के लिए रेट 5.80 रुपये प्रति यूनिट है, जिसे केजरीवाल सरकार 2.90 रुपये करना चाहती है। फिलहाल 15 पर्सेंट की सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 5 रुपये चुकाना पड़ता है।