वाराणसी: युवाओं ने दिखाया जल प्रबंधन और संरक्षण का ‘स्‍मार्ट’ रास्‍ता

विकास पाठक, वाराणसी
देश में जल प्रबंधन एवं संरक्षण की चुनौतियों को दूर करने के लिए भावी इंजीनियरों ने अलग-अलग साफ्टवेयर और मोबाइल ऐप तैयार किये हैं। देश के अलग अलग विश्वविद्यालय और इंजिनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों द्वारा इन सभी सॉफ्टवेयर्स को वाराणसी में आयोजित ‘स्‍मार्ट इंडिया हैकथॉन- 2018’ में प्रदर्शित किया गया है। काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) के महाराजा विभूति नारायण सिंह इंडोर स्‍टेडियम आयोजित ‘स्‍मार्ट इंडिया हैकथॉन- 2018’ में छात्रों ने इन तकनीकों का प्रदर्शन करते हुए इनसे जल संरक्षण की दिशा में बनने वाली नीतियों की राह आसान कर दी है।

इस कार्यक्रम में जिन तकनीकों से जल प्रबंधन और संरक्षण का रास्ता दिखाया गया है प्रभावी होने पर इनसे कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो सकता है। महाराष्‍ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्‍नॉलजी की टीम ‘किलर’ ने हर खेत में पानी, खेतों में सेंसर की थीम पर ऐप बनाकर ‘हैकथॉन’ में बाजी मारी है। एक लाख का प्रथम पुरस्‍कार जीतने वाली इस टीम द्वारा तैयार किए गए ऐप से किसानों को उनके खेत में पानी की जरूरत और उसके संभव स्रोत के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही यह ऐप बारिश की भविष्‍यवाणी भी करेगा।

गंगा की स्वच्छता में मदद करेगा ऐप्लिकेशन
वहीं प्रतियोगिता में दूसरा स्‍थान पाने वाली नवी मुंबई की टीम ‘बग स्‍क्‍वॉयर्स ने अलग-अलग क्षेत्रों में गंगा के पानी को लेकर समस्‍या और समाधान के लिए ऐप तैयार किया है। छात्रों का कहना है कि इस ऐप से गंगा में प्रदूषण तथा प्रदूषित जल से होने वाली बीमारियों का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। इसके अलावा भोपाल के युवाओं की टीम ने हर खेत को समुचित पानी दिलाने की व्यवस्था के लिए एक विशेष ऐप तैयार किया है। इस ऐप के जरिये किसान को

ऐप से जोड़ा जा सकेगा आधार कार्ड
अपने खेत की फोटो व स्‍थान की जानकारी देनी होगी जिसके बाद उसे उस क्षेत्र में सिंचाई के संसाधनों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इस ऐप से किसान अपना आधार व खसरा नंबर भी जोड़ सकते हैं, जो सरकार के पास सुरक्षित रहेगा। बताया जा रहा है कि आईआईटी बीएचयू द्वारा आयोजित इस हैकथॉन में देश की कई अन्य टीमों द्वारा भी अलग अलग ऐप का प्रदर्शन हुआ है, जिनसे कि तकनीकी के विकास में मदद मिलने का दावा किया गया है। इसके अलावा इन ऐप्स को आने वाले समय में आम लोगों के बीच भी प्रभावी रूप से पहुंचाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

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