वाराणसी:‘सीक्रेट’ बेसमेंट मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई

विकास पाठक, वाराणसी
वाराणसी शहर के सघन इलाके दालमंडी में अवैध ढंग से बड़ा मार्केट बनाए जाने के मामले में प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। जमीन से बीस फीट नीचे किए गए निर्माण की जांच आईआईटी बीएचयू के एक्सपर्ट करेंगे। टास्क फोर्स ने पूरे इलाके का सर्वे शुरू कर दिया है। प्रशासनिक जांच में वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) और पुलिस की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगा है। हालांकि खुफिया एजेंसियों ने मामले को काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा से जुड़ा नहीं माना है।

संवेदनशील इलाके दालमंडी में अवैध निर्माण के खेल का खुलासा तब हुआ जब एसएसपी रामकृष्ण भारद्वाज पैदल गलियों का निरीक्षण करने निकले थे। निरीक्षण के दौरान यहां पुरानी इमारत के नीचे खतरनाक तरीके से खुदाई कर बनाए गए मार्केट का पता चला। अवैध ढंग से मार्केट निर्माण की पोल खुलने के बाद प्रशासन की नींद टूटने से कार्रवाई का दौर जारी है।

सीएम योगी आदित्यनाथ 19 जनवरी को दो दिवसीय दौरे पर बनारस आने वाले हैं, ऐसे में कोप से बचने के लिए जिला प्रशासन से लेकर पुलिस व वीडीए प्रशासन किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहता है। प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं। वाराणसी मंडल के कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने वीडीए से रिपोर्ट तलब की है तो पुलिस ने गैर कानूनी तरीके से बेसमेंट और अन्य निर्माण कराने वाले सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी शुरू कर दी है।

स्ट्रेंथ की होगी जांच
वीडीए के उपाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि अवैध निर्माण के स्ट्रेंथ की जांच आईआईटी के विशेषज्ञों से कराए जाने के लिए पत्र भेजा गया है। विशेषज्ञ देखेंगे कि जमीन के नीचे और उसके ऊपर बना भवन मजबूत है या नहीं। भवन यदि मजबूत नहीं हुआ तो उसे ढहाने के साथ बेसमेंट को पाटा जाएगा। यदि रिपोर्ट सही मिलती है तो वहां पर पार्किंग बनाई जाएगी। बेसमेंट का किसी तरह से व्यवसायिक उपयोग नहीं हो पाएगा। उपाध्यक्ष के मुताबिक तहसीलदार व जोनल अधिकारियों की टीम गठित की गई है जो पूरे चौक इलाके में हाल के समय में हुए निर्माण की रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट आने के बाद बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

मजिस्ट्रेट जांच शुरू
उधर, डीएम योगेश्वर राम मिश्र के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट डॉ. विश्राम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने मौके का मुआयना करने के साथ वीडीए और पुलिस अधिकारियों से जानकारी की। पता चला कि यह कोई नया निर्माण नहीं है। पांच साल से रुक-रुक कर निर्माण किया जा रहा था। 2012 में वीडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष ने सीलिंग कार्रवाई की और अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। बावजूद इसके मातहत अफसरों ने इसे नजरअंदाज किया। ऐसे में वीडीए और इलाके की पुलिस कटघरे में है।

सुरक्षा पर आंच नहीं
इस बीच केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने जमीन के नीचे बने मार्केट को काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा में चूक नहीं माना है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि जहां निर्माण हुआ वहां से विश्वनाथ मंदिर की दूरी करीब एक किलोमीटर होने से सुरक्षा पर आंच आने का सवाल नहीं उठता है। यह पूरी तरह से अवैध निर्माण का मामला है जिसे सनसनीखेज बनाने का प्रयास किया गया। प्रशासन के आला अफसरों की आपसी चर्चा में भी यही बात सामने आई है।

दुकानदारों का प्रदर्शन
दालमंडी व आसपास इलाके के दुकानदारों ने गुरुवार को वीडीए के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दुकानें बंद कर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, वीडीए और पुलिस समय से कार्रवाई करती तो निर्माण नहीं हो पाता। लेन-देन कर पहले अवैध निर्माण करने की छूट दी जाती है और बाद में दबाव पड़ने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होती है। सभी सघन बाजारों में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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