राज्यसभा पर रार: सोशल मीडिया से पहुंची AAP ऑफिस तक, विश्वास के समर्थकों ने किया प्रदर्शन

नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी (AAP) के भीतर चल रही राज्यसभा की जंग गुरुवार को धरने-प्रदर्शन तक पहुंच गई। कुमार विश्वास के समर्थक आम आदमी पार्टी ऑफिस पहुंचे और यहां तंबू गाड़ दिए। इनकी मांग है कि कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजा जाए। कुमार विश्वास समर्थक अविनाश त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली की अलग-अलग विधानसभाओं के साथ ही यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से भी पार्टी कार्यकर्ता आए हैं।

कुमार विश्वास के समर्थक गुरुवार सुबह करीब 10 बजे से ही पार्टी ऑफिस में जुटना शुरू हो गए। इसकी तैयारी दो दिन से चल रही थी। सोशल मीडिया के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं और कुमार विश्वास समर्थकों को मेसेज भेजकर पार्टी ऑफिस जमा होने को कहा जा रहा था। आंदोलन से निकली पार्टी ‘आप’ के ऑफिस में कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजने के लिए उनके समर्थकों ने धरना दिया। मांग पूरी न होने तक यहीं जमे रहने की चेतावनी दी गई है। ऐसा शायद ही किसी पार्टी में हुआ है कि राज्यसभा के लिए किसी नेता के समर्थकों ने पार्टी ऑफिस में धरना दिया हो। हालांकि लोकसभा, विधानसभा या काउंसलर के टिकट के लिए ऐसा सभी पार्टियों में दिखता है।

पढ़ें, विश्वास को अजमेर से लोकसभा उपचुनाव लड़ाने की मांग

एक कुमार बाकी कोई भी, पर बाहरी नहीं
कुमार विश्वास के समर्थकों ने पार्टी ऑफिस पहुंचकर मांग की कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक उनसे मुलाकात करें। उनकी बात सुनें और कुमार विश्वास को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाएं। जालंधर से आए विष्णु कांत शुक्ला ने कहा कि पार्टी की PAC बैठक 6 महीने से नहीं हुई है। पार्टी का फैसला चार लोग मिलकर ले रहे हैं। जबकि कार्यकर्ताओं की राय के हिसाब से फैसला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजा जाए।

सुल्तानपुर माजरा से आए दुर्गा नागर ने कहा कि हमने राज्यसभा का फैसला पार्टी नेतृत्व पर छोड़ा था लेकिन अब यह पता चल रहा है कि पार्टी कार्यकर्ताओं की बजाय बाहरी लोगों को राज्यसभा भेजने की सोच रही है, जो गलत है। राजौरी गार्डन से आई किरन मल्होत्रा ने कहा कि एक सीट पर कुमार विश्वास को भेजा जाए और बाकी दो पर किसे भेजना है, यह फैसला पार्टी नेता खुद कर लें। कुमार को अजमेर से लोकसभा उपचुनाव लड़ाने की मांग भी हो रही है, इस सवाल पर किरन ने कहा कि यह भी अच्छा है पर कुमार को राज्यसभा ही भेजा जाए।

धरना देकर गाया ‘रघुपति राघव राजा राम’
कुमार के समर्थकों ने पार्टी ऑफिस पहुंचकर यहां टेंट लगवा लिया और रजाई-गद्दे मंगवा लिए। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह यहीं धरने पर बैठे रहेंगे। माइक और बड़े-बड़े स्पीकर के साथ ही बड़ी स्क्रीन भी मंगवा ली गई। उन्होंने यहां बैठकर ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाना शुरू किया। दूसरी तरफ पुलिस भी पार्टी ऑफिस पहुंच गई।

दोनों तरफ से पुलिस में शिकायत
आप की तरफ से पुलिस में शिकायत की गई, जिसमें कहा गया कि हमें इस मीटिंग की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। सारा सामान जबरन अंदर लाया गया और यहां के लोगों में ज्यादातर अपरिचित लोग हैं इसलिए इन्हें सामान के साथ बाहर किया जाए। इसके जवाब में कुमार समर्थकों ने भी पुलिस को लिखकर दिया कि हम पार्टी के कार्यकर्ता हैं और पार्टी के आंतरिक स्वराज के तहत शांतिपूर्वक कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं।

हालांकि पुलिस ने इस जवाब को रिसीव करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह पार्टी के लेटरहेड पर नहीं है इसलिए इसे नहीं लिया जा सकता। पुलिस ने पार्टी ऑफिस में जमे कुमार समर्थकों से कहा कि वह ऑफिस खाली कर दें। हालांकि देर शाम में काफी कम लोग ही पार्टी ऑफिस में बचे थे और पुलिस के कुछ जवान भी तैनात रहे।

कुमार का ट्वीट, ‘अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय’
इस बीच कुमार विश्वास ने ट्वीटकर कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश की। उन्होंने लिखा, ‘मैंने आपसब से हमेशा कहा है, पहले देश, फिर दल और फिर व्यक्ति। आम आदमी पार्टी मुख्यालय पर जमा कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि 26 नवंबर की मेरी अपील पर गौर करें। स्वराज, बैक टु बेसिक्स और पारदर्शिता के मुद्दों के लिए संघर्ष करें, मेरे हित-अहित के लिए नहीं। याद रखिए अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है।’ इस ट्वीट के बाद कुमार विश्वास समर्थकों ने आप ऑफिस से डेरा हटा लिया।

आर-पार की जंग
कुमार विश्वास को लेकर आप के भीतर की जंग के फिलहाल थमने के आसार नहीं हैं। जब तक आप राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं कर देती तब तक कुमार समर्थक उनके लिए ‘जंग’ लड़ेंगे। अगर पार्टी कुमार के नाम का ऐलान नहीं करती है तो उसके बाद भी पार्टी नेतृत्व पर हमले तीखे ही होने के आसार हैं।

आम आदमी पार्टी ने इकॉनमी, लीगल, हेल्थ और एजुकेशन फील्ड के कई बड़े नामों से राज्यसभा उम्मीदवार बनने के लिए संपर्क किया था लेकिन उन्होंने पार्टी के नाम के साथ जुड़ने से इनकार कर दिया। अब अगर आप को बाहरी विशेषज्ञ चुनने हैं तो उसके सामने यह चुनौती है कि वह ऐसे हों जिन्हें पार्टी कुमार विश्वास से बेहतर बता सके। अगर आप पार्टी नेताओं में से ही किसी को चुनती है तो फिर पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ने के भी आसार हैं।

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