मोदी सरकार ने भी अपनाया कॉर्पोरेट कल्चर, केंद्रीय सचिवालय में होगी छटनी!
|गवर्नेंस के तमाम वादों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर चुकी है। सरकार ने बुधवार को कई बड़े प्रशासनिक सुधारों पर मुहर लगाई है, जो कॉर्पोरेट कल्चर की ही तरह नजर आ रहे हैं। इनके तहत लोअर और अपर डिविजनल क्लर्क्स की जगह टेक सैवी और मल्टी टास्किंग एग्जिक्युटिव असिस्टेंट लेंगे।
सरकार चाहती है कि अगले 20 से 25 साल में मौजूदा सेंट्रल सेक्रिटेरिअट सर्विस (CSS) और सेंट्रल सेक्रिटेरिअट स्टेनोग्राफर्स सर्विस (CSSS) की जगह एग्जिक्युटिव असिस्टेंट्स काडर ले लेगा। सीएसएस और सीएसएसएस ही केंद्र सरकार के अधिकारियों के स्टाफ मुहैया कराने के लिए रीढ़ की तरह काम कर रहे हैं।
दरअसल, सरकार का यह कदम 6ठें वेतन आयोग की सिफारिशों पर ही आधारित है, जिसमें सुझाव दिया गया था कि मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से डिग्री और एक साल का कंप्यूटर डिप्लोमा धारकों को मल्टी स्किल्ड एग्जिक्युटिव असिस्टेंट्स के पदों पर भर्ती किया जाना चाहिए।
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग ने बताया कि प्रस्तावित योजना के मुताबिक, एग्जिक्युटिव असिस्टेंट्स (EA) की भर्ती एक ऑल इंडिया ओपन एग्जाम के जरिए की जाएगी। एग्जाम की जिम्मेदारी स्टाफ सेलेक्शन कमिशन पर होगी। इतना ही नहीं, छह साल की नौकरी के बाद ईए प्रमोशन पा सकेंगे और उन्हें एग्जिक्युटिव ऑफिसर की पोस्ट मिल जाएगी।
नई योजना के तहत एक बड़ी बात यह भी है कि सेंट्रल सेक्रिटेरिअट में यूडीसी और एलडीसी की जो तादाद अभी करीब 21 हजार है, वह घटकर करीब 8200 ही रह जाएगी। डीओपीटी का मानना है कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि पेपर वर्क काफी कम हो जाएगा और उसकी जगह टेक्नॉलजी ले लेगी तो अधिकारियों को पर्सनल स्टाफ की जरूरत भी ज्यादा नहीं रहेगी।
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