मैनेजमेंट की तानाशाही से विद्यालय कर्मचारी पहुंचे भूखमरी की कगार पर

गोंडा
आईटीआई लिमिटेड मनकापुर द्वारा संचालित डी ए वी इंटर कॉलेज के प्रबंधतंत्र के तानाशाही रवैए के चलते प्रबंध और विद्यालय के कर्मचारियों का मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है। कई माह से वेतन भुगतान न होने से यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की हालत दयनीय हो चुकी है। शिक्षकों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है। सारी सुविधाओं से लैस कभी यह विद्यालय शिक्षा के मानदंड पर शिखर पर रहते हुए डॉक्टर और वैज्ञानिक जैसी प्रतिभाओं को जन्म देने वाला आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है।

डी ए वी इंटर कॉलेज संचार बिहार आईटीआई मनकापुर में स्थित है। प्रबंधक के मनमाने रवैये को लेकर विद्यालय में तैनात अध्यापकों और कर्मचारियों को 21 माह से वेतन नहीं मिला है। कई बार उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई गई लेकिन सभी ने सुन कर अनसुना कर दिया। इससे पढ़ाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। विद्यालय सारी सुविधाओं से लैस है। कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, खेल का मैदान, ए क्लास का भवन , लाइब्रेरी आदि सुविधाओं से लैस है। यहां के पढ़े हुए छात्रों ने जिले का नाम रोशन किया है। प्रतियोगिताओं और खेल में यहां के छात्रों ने विद्यालय के नाम तमाम मेडल भी इकट्ठा किए थे।

इसी विद्यालय में पहले जहां 1500 बच्चे पढ़ते थे, आज 168 बच्चों की संख्या रह गई है। विद्यालय को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी आइटीआई प्रबंधतंत्र की है लेकिन विद्यालय के अध्यक्ष आलोक श्रीवास्तव की नजर में विद्यालय को बंद करने की कोशिश की जा रही है।

प्रधानाचार्य का प्रबंध तंत्र पर आरोप
विद्यालय के प्रधानाचार्य ए के अस्थाना ने आरोप लगाया है कि विद्यालय के प्रबंधतंत्र के अध्यक्ष बदले की भावना से कार्रवाई कर रहे हैं। इसके पहले इनकी पत्नी इस विद्यालय में कैजुअल अध्यापक के रूप में पढ़ाती थीं जो रेग्युलर नहीं हो पाई थी। इंटरव्यू में फेल हो गई थीं। इसी को लेकर अध्यक्ष द्वारा साजिश के तहत विद्यालय प्रबंधतंत्र के अध्यक्ष बनते ही विद्यालय बंद करने का नोटिस जारी कर दिया गया, यह दिखाते हुए कि आईटीआई लिमिटेड घाटे में है। ऐसी स्थिति में विद्यालय को चला पाना असंभव है।

दावा है कि विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार श्रीवास्तव की द्वेषपूर्ण भावना से विद्यालय बंद होने की कगार पर आ खड़ा हुआ है जिसमें 36 कर्मचारी को 21 माह से वेतन नहीं मिला है। यही नहीं, 1 से 5 तक कि क्लास पहले ही बंद की जा चुकी हैं। अब 6 से 12 तक की क्लास को भी बंद करने की साजिश कर रहे हैं। कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली है। भुखमरी से निजात दिलाने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, दूरसंचार मंत्री, गृहमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री पत्र भेजकर गुहार लगाई है। यह विद्यालय इंटर के स्तर तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। आई टी आई लिमटेड भारत सरकार के उपक्रम द्वारा पूर्ण रूप से संचालित है।

प्रबंध समिति के अध्यक्ष का क्या कहना है
जब इस बाबत विद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष आलोक श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विद्यालय को मैनेजमेंट के द्वारा आज भी सहयोग किया जा रहा है। अभी हाल ही सीसीटीवी कैमरा लगवाया गया है। जब विद्यालय को बंद करने के बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये सब आरोप निराधर हैं। विद्यालय के कर्मचारियों द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है। मामला उच्चन्यालय में विचाराधीन है, जो कोर्ट का आदेश होगा, वह मान्य होगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट द्वारा आदेश पर मार्च 2016 तक वेतन का भुगतान किया गया है। उन्होंने प्रधानाचार्य द्वारा लगाए गए सारे आरोपों को निराधार बताया।

मानव संसाधन प्रमुख वाई एस चौहान से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि विद्यालय के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दिनों-दिन छात्रों की संख्या कम होती जा रही है। इस संबंध में विद्यालय के अध्यापकों से संख्या बढ़ाने के लिए बार-बार चेतावनी दी गई। उसके बाद भी अध्यापकों ने संख्या बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 168 पर पहुंच गई। ऐसी दशा में आईटीआई प्रबंधन हर माह लगभग 17 लाख वेतन देने में अपने-आप को असमर्थ पा रहा है।

आईटीआई कर्मचारी संघ के महामंत्री का क्या कहना है
आईटीआई कर्मचारी संघ के महामंत्री नदीम जाफरी का कहना है कि वह प्रयासरत हैं कि जल्द से जल्द इस मामले मे प्रबंध तंत्र और विद्यालय के कर्मचारियों के बीच में सामंजस्य बनाते हुए विद्यालय को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जाएगा।

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