भारत की फार्मा कंपनियां 15% टैक्स बचाने के लिए अमेरिका में लगा सकती हैं प्लांट्स

सचिन दवे/दिव्या राजगोपाल, मुंबई
पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी पहल ‘मेक इन इंडिया’ अबतक कुछ खास नतीजे नहीं दे पाई है लेकिन ट्रंप का मेक इन अमेरिका भारत के लिए और मुश्किलें खड़ी कर सकता है। भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ‘मेक इन अमेरिका’ पर दांव लगा रही हैं। जिन कंपनियों का अमेरिका में बड़ा कारोबार है उनमें कई उत्तर अमेरिका क्षेत्र में एसेट्स खरीदने पर जोर दे रही हैं।

टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी टैक्स पॉलिसी में टैक्स रेट घटाकर लगभग 21 प्रतिशत किए जाने से भारतीय कंपनियों को शर्तिया फायदा होगा। ईटी को पता चला है कि सन फार्मा, कैडिला, अरबिंदो, टॉरेंट जैसी दवा कंपनियां अमेरिका में खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग एसेट्स खरीदने का प्लान बना रही हैं। ये कंपनियां नई मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी में इन्वेस्ट कर रही हैं या फिर ब्राउनफील्ड प्लांट्स के लिए M&A प्लान बना रही हैं।

ईटी को भेजे ईमेल में देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी जेनेरिक कंपनी सन फार्मा ने कहा है कि उसने निवेश के लिए सालाना खर्च का प्लान बनाया है। सन फार्मा के प्रवक्ता ने कहा, ‘कंपनी ने उत्तर अमेरिका, यूरोप, इमर्जिंग मार्केट्स और इंडिया में बढ़ते कारोबार की देखरेख के लिए सालाना कैपिटल एक्सपेंडिचर प्लान बनाया हुआ है। इसमें उन फैसिलिटीज में इन्वेस्टमेंट शामिल है जहां से हमें नया बिजनस मिलने की उम्मीद है।’ कैडिला और अरबिंदो ने ईटी के र्इमेल का जवाब नहीं दिया है।

टॉरेंट फार्मा ने गुरुवार को ऐलान किया कि उसने अमेरिकी कारोबार को विस्तार देने के लिए अमेरिका में एक कंपनी खरीदी है। अमेरिका में टैक्स लॉ के नियमों में बदलाव से लोकल कंपनियों पर लगने वाला टैक्स घटकर 21 प्रतिशत हो गया है। टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारतीय और अमेरिकी टैक्स रेट में 15 प्रतिशत का फर्क है और यह भारतीय फार्मा कंपनियों को लुभाने के लिए बहुत बड़ा फर्क है।

केपीएमजी इंडिया में टैक्स पार्टनर और हेड गिरीश वनवारी ने कहा, ‘सरकार को कॉर्पोरेट टैक्स रेट की समीक्षा करने की जरूरत है क्योंकि बड़े पैमाने पर अमेरिका को निर्यात करने वाले फार्मा जैसे सेक्टर की कंपनियों को अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस वहां शिफ्ट करने से काफी फायदा हो सकता है। अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगाने वाली कंपनियों पर इंडिया से 15 प्रतिशत कम टैक्स लगेगा। ऐसी कंपनियों को लेकर वहां के रेगुलेटर का रुख भी सकारात्मक रहेगा।’

अमेरिकी टैक्स सिस्टम में हुए बदलाव के बाद अब जो भी कंपनियां वहां से फायदा कमाकर बाहर ले जा रही हैं उन पर बेस इरोजन ऐंड ऐंटी अब्यूज टैक्स (BEAT) जैसी कुछ पेनल्टी लगेगी। लेकिन अगर कोई MNC अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगाना चाहती है तो उनको कुछ खास सुविधाएं मिलेंगी, जैसे- वे इक्विपमेंट की खरीदारी की लागत को राइट ऑफ कर सकेंगी।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत सी इंडियन कंपनियों के लिए अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स लगाना फायदेमंद होगा। इससे उनके फायदे में बढ़ोतरी होगी। ज्यादातर कंपनियों ने अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने से होने वाले नफा नुकसान का पता लगाने के लिए महीने भर पहले इंपैक्ट ऐनालिसिस कराया था। मामले के जानकार सूत्रों ने बताया कि दवा कंपनियां शुरुआती निवेश सहित कई पहलुओं पर विचार कर रही हैं और इस साल दिसंबर तक अपने प्लान को अंतिम रूप दे सकती हैं।

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