भारतीय कंपनियों को रास आ रहे पाकिस्तान के सर्जिकल उपकरण

राघव ओहरी, नई दिल्ली
सर्जिकल स्ट्राइक में भले ही भारत ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए हों, लेकिन सर्जरी में काम आने वाले उपकरणों के लिए बहुत हद तक भारत को अपने इस पड़ोसी देश पर निर्भर करना पड़ता है। विभाजन से पहले (अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में) शुरू हुआ सर्जिकल उपकरण बनाने का उद्योग भारत सहित दुनिया के कई देशों को इन उपकरणों की सप्लाई करता है।

दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध बिगड़ने के बावजूद भारत कैंची, चिमटी, नीडल होल्डर और रिट्रैक्टर (घाव को खोलने और ऑपरेशन के दौरान अंगों को फैलाकर रखने में काम आने वाला उपकरण) जैसे सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स का पाकिस्तान से आयात करता है। इन उपकरणों का भारत में तो इस्तेमाल होता ही है, यहां से उनका अफ्रीकी देशों को निर्यात भी किया जाता है।

सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स के सप्लायर्स ने ईटी को बताया कि भारतीय कारीगरों ने पाकिस्तानी कारीगरों का मुकाबला करने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए। लियो मैन्युफैक्चरर्स के मालिक विपिन यादव ने बताया, ‘ये इंस्ट्रूमेंट्स पाकिस्तान में उपलब्ध हैमर फोर्जिंग तकनीक से बनाए जाते हैं। इस तकनीक के साथ इंडस्ट्री लगाने में बड़ा खर्च करना होगा, जो हम सरकारी मदद के बिना नहीं कर सकते। हम एक दिन में 50 पीस बनाते हैं, जबकि पाकिस्तान में हैमर फोर्जिंग के साथ एक दिन में लगभग 5,000 पीस बनाए जाते हैं और उनकी कीमत भी काफी कम होती है।’

पाकिस्तान में हैमर फोर्जिंग तकनीक एक पीढ़ी से अगली को सिखाई जाती है। सप्लायर्स ने बताया कि पाकिस्तान में सस्ते मजदूरों के कारण भी फायदा मिलता है। इसके बावजूद इन इंस्ट्रूमेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत में मौका है क्योंकि पाकिस्तान में बने इंस्ट्रूमेंट्स भारी होते हैं और भारत में इस्तेमाल के लिए अक्सर इनमें बदलाव करने की जरूरत पड़ती है। पाकिस्तान अभी रूस, जर्मनी और इटली सहित कुछ देशों को सीधा निर्यात करता है। इन देशों में भारी सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स की जरूरत होती है।

भारत में इन इंस्ट्रूमेंट्स के अधिकतर सप्लायर जालंधर में हैं और वे मुख्यतौर पर दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस के जरिए सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स लाते हैं। इन इंस्ट्रूमेंट्स के कुछ सप्लायर दिल्ली, चेन्नै और मुंबई में भी हैं, जो पाकिस्तान के मैन्युफैक्चरिंग हब सियालकोट से सीधे इनका आयात करते हैं। भारतीय सप्लायर्स और पाकिस्तानी मैन्युफैक्चरर्स के बीच अच्छे संबंधों के कारण भारत में इस्तेमाल के लिए इन इंस्ट्रूमेंट्स को हल्का बनाया जाता है।

जालंधर में रिट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स के मालिक विनोद यादव ने बताया, ‘भारत में इंस्ट्रूमेंट्स की रिपेयरिंग किफायती नहीं होने के कारण हमने पाकिस्तानी मैन्युफैक्चरर्स से भारतीय ग्राहकों के लिए कम वजन वाले इंस्ट्रूमेंट्स बनाने का निवेदन किया था। अब पाकिस्तान से आयात में हल्के सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स की हिस्सेदारी करीब 40 पर्सेंट की है।’ पाकिस्तान से केवल जालंधर के सप्लायर्स ही लगभग पांच करोड़ रुपये के सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स आयात करते हैं।

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