बैंक ग्राहकों के लिए क्या मायने रखता है एफआरडीआई विधेयक

आदिल शेट्टी, बैंक बाजार
वित्तीय समाधान और बीमा जमा (एफआरडीआई) विधेयक कई वजहों से चर्चा में है। इस विधेयक में लोगों के मन में तमाम आशंकाएं हैं। इसलिए इसे अच्छी तरह से समझने आवश्यकता है। आज हम आपको एफआरडीआई विधेयक से संबंधित जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं।

एफआरडीआई विधेयक है सकारात्मक
फिलहाल, एफआरडीआई विधेयक से डरने की कोई जरूरत नहीं है। विधेयक के मसौदे को पढ़कर यह समझा जा सकता है कि विधेयक वित्तीय संस्थानों के लिए एक जोखिम निगरानी प्रणाली स्थापित करना चाहता है। फिलहाल, रेग्युलेटर्स के लिए वित्तीय संस्थानों का प्रबंधन करने का कोई सिस्टम नहीं है। एफआरडीआई विधेयक के प्रावधानों में वित्तीय संस्थानों के भीतर जोखिम पर लगातार निगरानी रखने की व्यवस्था होगी। यह धीरे-धीरे गंभीर रूप से बीमार संस्थानों को सलूशन की ओर ले जाएगा।

विधेयक से समाधान प्रक्रिया का निर्माण
एफआरडीआई विधेयक में वित्तीय संस्थाओं के भीतर जोखिम को ट्रैक करने के लिए 5 चरण की प्रक्रिया है। जोखिम के स्तर को न्यूनतम, मध्यम, भौतिक, आसन्न, और संकटपूर्ण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। दूसरी ओर यह निगम द्वारा एक समाधान संकल्प की स्थापना के लिए अनुमति देता है। इसके अंतर्गत समाधान के लिए 5 विधियां हैं: विलय/ अधिग्रहण, जमानत, अपने एसेट्स का हस्तांतरण और थर्ड पार्टी लायबिलिटी, एसेट्स और लायबिलिटी को कंट्रोल करने के लिए एक कंपनी बनाना और लिक्विडेशन। यह विधेयक का मूल है।

समाधान निगम
यह संकट में उलझे फर्म के समाधान की देखरेख करेगा। इसमें वित्त मंत्रालय के साथ-साथ सभी वित्तीय नियामकों के सदस्यों और स्वतंत्र निदेशकों द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाएगा। इसमें जोखिम के स्तर को वर्गीकृत किया जाएगा।

जमाकर्ताओं के लिए लाभकारी
यह विधेयक का एक पहलू है जिसने लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं। जमानत की प्रक्रिया समाधान संकल्प के पांच तरीकों के बीच सूचीबद्ध है। जमानत की प्रक्रिया में, एक संकटग्रस्त कंपनी बाहरी सहायता की तलाश करती है। जमानत में वह कंपनी अपने ऋण को बंद कर सकती है या उधार लेने की शर्तों पर फिर से बातचीत कर सकती है। एक संकटग्रस्त बैंक के मामले में ऋणदाता ही जमाकर्ता होते हैं जिन्होंने इसे अपनी मेहनत से अर्जित धन उन्हें सौंपा है।

अभी तक 1 लाख रुपये तक की जमा राशि जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम द्वारा इंश्योर्ड होती है। यह सीमा 1993 में स्थापित की गई थी। एफआरडीआई विधेयक इसके आधुनिकीकरण का प्रयास करता है, जो इसे 2017 में कई स्तरों तक पहुंचाएगा। यह मेजॉरिटी जमाकर्ताओं के लिए सकारात्मक होगा। इसके अतिरिक्त, एफआरडीआई विधेयक, सहमति आधारित प्रक्रिया में जमानत देता है जिसे आपको अपनी राशि जमा करते समय सहमति देने की जरूरत होती है।

एक परिपक्व अर्थव्यवस्था में जरूरी है
पिछले 3 दशकों में भारतीय वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है, जहां से निजी क्षेत्र के धुरंधरों के लिए काफी मौके हैं। कई स्टार्टअप भी शुरू हो गए हैं। अधिकांश बड़े बैंक नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स के साथ बैठे रहते हैं, जिससे परेशानी बढ़ जाती है। इसके लिए जोखिमों की बेहतर निगरानी करना जरूरी है। अभी ऐसा कोई सिस्टम मौजूद नहीं है। इसलिए एपआरडीआई इसमें मददगार साबित हो सकता है।

स्मार्ट मनी के विकल्प को करेगा प्रोत्साहित
आपकी बैंक जमा राशि भी खतरे में हो सकती है, आम आदमी को विभिन्न निवेश विकल्पों की तलाश करनी चाहिए। बस सेविंग्स अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट्स के माध्यम से ब्याज अर्जित करने के बजाय और अचेछे विकल्पों का चयन कर बचाव किया जा सकता है। म्युचूअल फंड, बॉन्ड, इक्विटी, पीपीएफ, गोल्ड और रियल एस्टेट खरीद सकते हैं।

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