बेहतर सुविधा, अच्छे कोच और कड़ी मेहनत से मिल रही जीत: हरमनप्रीत सिंह

फिरोज खान, नई दिल्ली
ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह हाल के सालों में भारतीय हॉकी में उभरे सबसे चमकदार सितारों में से एक हैं। 21 साल की उम्र में ही वह ओलिंपियन और वर्ल्ड कप विजेता बन चुके हैं। सभी बड़े टूर्नमेंट में उनका अनुशासन और लगातार बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया है। 2014 में मलेशिया में खेले गए सुल्तान जोहर कप में उन्होंने पहली बार जूनियर लेवल पर अपनी ओर ध्यान खींचा। इसमें उन्होंने 9 गोल दागे और इसके बाद एशिया कप में 15 गोल किए। उनके शानदार प्रदर्शन की वजह से उन्हें रियो ओलिंपिक टीम में भी शामिल किया गया। 15 साल बाद जूनियर हॉकी टीम जीतने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। हॉकी इंडिया लीग 2017 की तैयारी में जुटे हरमनप्रीत से टीओआई स्पोर्ट्स ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश…

सुल्तान जोहर कप, जूनियर एशिया कप, ओलिंपिक्स और अब जूनियर वर्ल्ड कप। वर्ल्ड कप विजेता होने का कैसा अहसास है?
मुझे गर्व है। हमने पिछले कुछ सालों में इस टूर्नमेंट के लिए बहुत तैयारी की थी। इसका परिणाम बहुत उत्साहजनक रहा। हम सही स्प्रिट से खेले। सभी खिलाड़ियों को निश्चित भूमिका दी गई थी और हमने अपने काम को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया। सबसे यादगार लम्हा रहा जूनियर वर्ल्ड कप को उठाना। हमने इसके लिए बहुत इंतजार किया था।

आप जूनियर और सीनियर दोनों टीमों में खेलते हैं…
बहुत सी चीजें हैं जो मैं नहीं जानता (सीनियर टीम में होने पर)। सीनियर खिलाड़ी बहुत मददगार हैं और मुझे गाइड करते हैं। मुझे दुनिया के कुछ सबसे बड़े हॉकी खिलाड़ियों के साथ और खिलाफ खेलने का मौका मिला है। इससे मेरा विश्वास बढ़ा है। सीनियर खिलाड़ियों के साथ खेलने से जो सबसे बड़ी चीज मुझे मिली, वह है अनुभव। ऐसा नहीं है कि जूनियर टीम में आप पर दबाव नहीं होता, लेकिन सीनियर टीम में इसका स्तर बहुत अलग होता है।

रोलेंट ओल्टमेंस और हरेंदर सिंह का योगदान कितना महत्वपूर्ण रहा है?
दोनों ने हमें कड़ी मेहनत कराई। वे सभी काम करते हैं। मैच दर मैच रणनीति बनाते हैं। मैं कहूंगा कि हमारी सफलता का श्रेय हमारे कोच को जाता है। हम भाग्यशाली हैं कि उनका साथ मिला है। हम उनके प्लान के मुताबिक ही खेलते हैं।

आपके कप्तान हरजीत सिंह के प्रदर्शन की भी तारीफ हो रही है…
वह शानदार खिलाड़ी हैं और जानते हैं कि टीम को कैसे लीड करना है। वह अनुशासन बनाकर रखते हैं और सभी खिलाड़ियों से बात करते हैं। वह एक भाई और एक दोस्त की तरह गाइड करते हैं। वह अच्छे व्यक्ति हैं, जिनसे आप बात कर सकते हैं।

मैचों के दौरान दर्शकों की संख्या काफी अधिक थी, खासकर फाइनल मैच में स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। ऐसे क्राउड के सामने खेलकर कैसा लगा?
टूर्नमेंट के फाइनल में दर्शकों की संख्या बहुत अधिक थी। मैं इस बात से उत्तेजित था कि हॉकी का मैच देखने के लिए इतने सारे लोग आए हैं। स्वभाविक रूप से यह हॉकी के के लिए अच्छा है। दर्शक ही हमारे खेल को दूसरे लेवल पर ले जा सकते हैं। मैं बहुत खुश और आभारी हूं।

भारतीय टीम अच्छा खेल रही है और सभी को प्रभावित कर रही है। आप क्या सोचते हैं ऐसा क्या बदलाव आया है?
यह बेहतर सुविधाओं और गाइडेंस का असर है। मैं अधिक श्रेय टीम के कोचेज को दूंगा। नरेंद्र बत्रा (हॉकी इंडिया के पूर्व प्रेजिडेंट और वर्तमान एफआईएच प्रमुख) भारतीय हॉकी को सही दिशा में ले जा रहे हैं। कई चीजें साथ में काम कर रही हैं। हमें सही डाइट, तकनीक मिल रहा है और हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

आप अपने खेल में क्या सुधार करना चाहेंगे?
मैंने 11 साल की उम्र में खेलना शुरू किया था। एक प्राइवेट अकैडमी (सुरजीत सिंह हॉकी अकैडमी) में गया। मैंने वहां तीन साल बिताए और उसके बाद अलग-अलग टूर्नमेंट में खेला। पंजाब की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर खेला। तीन नैशनल चैंपियनशिप के बाद जूनियर टीम में शामिल किया गया। ईमानदारी से कहूं तो मुझे अपने खेल के हर पहलू में सुधार करना है। मुझे लगता है कि मैंने अभी भी कुछ नहीं सीखा है। मैं एक डिफेंडर और ड्रैग फ्लिकर हूं और मेरा लक्ष्य दोनों ही भूमिका में सुधार लाना है।

2016 काफी व्यस्त सीजन रहा और अब आप हॉकी इंडिया लीग के लिए तैयारी में जुटे हैं। आपका इस टूर्नमेंट को लेकर क्या आंकलन है?
आपको अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से काफी सीखने को मिलता है जैसे उनका तकनीक, तैयारी और प्लानिंग। हम भारतीय तरीकों के बारे में जानते ही हैं और जब आप अलग-अलग देशों के खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं तो यह उनसे सीखने का अच्छा मौका होता है। इसका भविष्य में लाभ मिलता है। यह सभी के लिए अच्छा मंच है।

इस सीजन से आपकी उम्मीदें?
पिछले साल हम बहुत अच्छा खेले। हम सेमीफाइनल में जाने से चूक गए थे। हमारी टीम में भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों का अच्छा मिश्रण है। हमारे पास एचआईएल की तैयारी के लिए 10 दिन है। 10 जनवरी से हमारा कैंप है। हम अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे।

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