बेहतर दिख रही है जेके लक्ष्मी की आगे की राह

नरेंद्र नाथन, मुंबई
जेके लक्ष्मी सीमेंट का 2017-18 की दूसरी तिमाही के लिए नतीजा कुछ मामलों में अच्छा रहा तो कुछ में कमजोर। इसकी आमदनी साल दर साल आधार पर 18 पर्सेंट बढ़ी। सेल्स वॉल्यूम में 10 पर्सेंट बढ़ोतरी के चलते ऐसा हुआ। देश के पूर्वी हिस्से में उत्पादन क्षमता बढ़ाने और उत्तर भारत में मार्केट शेयर बढ़ने के कारण सेल्स वॉल्यूम में इजाफा हुआ और रियलाइजेशंस में भी 8 पर्सेंट बढ़ोतरी रही। हालांकि इसका नेट प्रॉफिट 47 पर्सेंट घट गया। ऐसा नई कपैसिटीज के आने के बीच डेप्रिसिएशन बढ़ने के कारण हुआ।

ऐनालिस्ट्स को उत्तर और पश्चिमी भारत में सीमेंट के दाम बढ़ने के कारण जेके लक्ष्मी के अच्छे दिन आने का भरोसा है। समूची इंडस्ट्री में उत्पादन क्षमता बढ़ाने की रफ्तार घटी है और डिमांड में बढ़ोतरी से 2017-18 में सप्लाई में बढ़ोतरी के मुकाबले डिमांड में इजाफा ज्यादा होगा। इससे सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स की प्राइसिंग पावर बढ़ सकती है। जेके लक्ष्मी की 1.25 करोड़ टन कपैसिटी पश्चिमी, उत्तर और पूर्वी भारत में है। इस विविधता के कारण जेके लक्ष्मी को डिमांड रिकवरी का बड़ा फायदा होगा।

वेस्ट और नॉर्थ इंडिया में इसका कामकाज बेहतर है, लेकिन पूर्वी भारत में इसका कामकाज लागत के लिहाज से ठीक नहीं है। यही वजह है कि इसका एबिट्डा प्रति टन महज 505 रुपये है। एबिट्डा का मतलब है इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमॉर्टाइजेशन से पहले का मुनाफा। जेके लक्ष्मी सीमेंट ने पूर्वी क्षेत्र में लागत घटाने के कई कदम उठाए हैं। इन कदमों का असर दिखने लगा है। उदाहरण के लिए, इसके हाल में शुरू हुए 7.5 मेगावॉट के वेस्ट हीट रिकवरी प्लांट से कंपनी की लागत कम होगी। वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान एबिट्डा में 460 रुपये प्रति टन से 505 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी को इसी नए प्लांट के कारण हासिल किया जा सका।

कंपनी छत्तीसगढ़ में दुर्ग स्थित प्लांट में भी 20 मेगावॉट का कैप्टिव पावर प्लांट लगा रही है। वह लाइमस्टोन के ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक कन्वेयर बेल्ट भी लगा रही है। इन कदमों से 2018-19 में एबिट्डा प्रति टन के बढ़कर 620 रुपये हो जाने की उम्मीद की जा रही है। जेके लक्ष्मी सीमेंट 2014-15 में शुरू किए गए अपने सभी कैपेक्स प्लांस को पूरा करने के करीब है। इन नए प्लांट्स की उत्पादन क्षमता का उपयोग बढ़ने से कंपनी को मार्जिन बेहतर करने में मदद मिलेगी। कैश फ्लो बढ़ने से कंपनी कर्ज की मात्रा भी घटा सकेगी। 2016-17 में डेट इक्विटी रेशियो 1.3 था, जिसके 2019-20 में घटकर 0.6 होने की संभावना है।

कंपनी का पीई इस लिहाज से काफी ऊंचा दिख रहा है कि यह सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहा है। हालांकि कंपनी के आउटलुक को देखते हुए यह पीई वाजिब है। 2016-17 में कंपनी का प्रॉफिट 43 करोड़ रुपये था, जिसे 2018-19 में 301 करोड़ रुपये होने की संभावना है। हालांकि इस सेक्टर पर शॉर्ट टर्म में दबाव बने रहेंगे। पेट कोक पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल में लगाए गए बैन के कारण यह स्थिति है। लॉन्ग टर्म इनवेस्टर्स हालांकि इस मौके का उपयोग कर सकते हैं।

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