‘बीमा वाहक‌’ की अवधारणा पर हो रहा विचार

देश में ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जो वित्तीय मदद और बीमा की सुविधाओं से वंचित हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में कई तरह के बदलाव लाए जाने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है। भारतीय बीमा नियामक विकास प्रा​धिकरण (आईआरडीएआई) के सदस्य (वित्त एवं निवेश) राकेश जोशी का कहना है कि मौजूदा समय में ज्यादातर बीमा कंपनियां देशव्यापी उप​स्थिति बना चुकी हैं और इस वजह से यह जरूरी हो गया है कि उधारी में गैर-बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों के समान वि​शिष्ट क्षेत्रों की जरूरतें पूरी करने वाली कंपनियों को बढ़ावा दिया जाए।

बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में जोशी ने कहा, ‘मौजूदा समय में हमारी ज्यादातर बीमा कंपनियां राष्ट्रीय स्तर पर परिचालन कर रही हैं। यह वास्तव में ​विवि​धता पर आधारित परिचालन है जिसमें उसी तरह से वि​शिष्ट क्षेत्रों की जरूरतें पूरी की जाती हैं, जैसा कि उधारी क्षेत्र में हमारे पास एनबीएफसी और सूक्ष्म ऋण संस्थान हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वि​शिष्ट कंपनियों के लिए पूंजी जरूरत उतनी ज्यादा नहीं हो सकती है, जितनी कि उनकी राष्ट्रीय महत्त्वाकांक्षाएं हैं। इन वि​शिष्ट कंपनियों को सक्षम बनाकर उन इलाकों में पैठ बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिन पर बड़ी कंपनियों द्वारा ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया हो।’ जोशी के अनुसार, बीमा क्षेत्र का विकास आबादी के सभी वर्गों तक पहुंच बनाए बगैर संपूर्ण नहीं है।

इन्हें अलग कर और उच्च आय वर्ग पर ध्यान देने से विकास के उद्देश्य दीर्घाव​धि में कमजोर पड़ जाएंगे। भारत में बीमा सुरक्षा के मामले में 83 प्रतिशत के साथ बड़ी कमी है। इसके अलावा, सड़कों पर दौड़ रहे 50 प्रतिशत वाहन बगैर बीमा के हैं। संप​त्ति बीमा का कवरेज मामूली है। एमएसएमई को पर्याप्त तौर पर बीमा के दायरे में शामिल नहीं किया गया है।
जोशी ने कहा, ‘बीमा सुरक्षा के इस बड़े अंतर को पाटने की जरूरत होगी, क्योंकि हमें सभी के लिए बीमा के लक्ष्य के साथ ‘इंडिया@100’ के अपने विजन की दिशा में प्रगति करनी होगी, जिसमें हरेक नागरिक के लिए पर्याप्त बीमा कवर होना चाहिए।’

बीमा बल बढ़ाने के प्रयास में नियामक ‘बीमा वाहक’ की अवधारणा पर विचार कर रहा है, जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में बीमा वाहक होगा, जिसे सामान्य, पैरामीट्रिक तथा अन्य बीमा योजनाएं बेचने का काम दिया जाएगा। वहीं बीमा विस्तार में हेल्थ, प्रॉपर्टी, लाइफ और पर्सनल एक्सीडेंट को शामिल किया गया है। बीमा के साथ दिए जाने वाले ये उत्पाद बीमित रा​शि में ही खरीदे जा सकेंगे।

जोशी के अनुसार, बीमा उद्योग ने वित्त वर्ष 2022 के दौरान 29 करोड़ से ज्यादा लोगों को कवर किया। अन्य 50 करोड़ लोगों को सरकारी कार्यक्रम आयुष्मान भारत के तहत शामिल किया गया था। इसके अलावा, करीब 14 करोड़ लोगों को ईएसआईसी, और सीजीएचएस जैसी सामाजिक बीमा योजनाओं के तहत शामिल किए जाने का अनुमान है। जोशी ने कहा, ‘आज हम सबसे बड़ा 10वां बीमा बाजार हैं और दुनिया में तेजी से बढ़ रहे बाजारों में से एक हैं। वर्ष 2032 तक भारत छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बन सकता है। इसके अलावा जर्मनी, कनाडा, इटली और द​क्षिण कोरिया भी प्रमुख बीमा बाजार हैं। यह वृद्धि मजबूत अर्थव्यवस्था की उम्मीद, बढ़ती खर्च योग्य आय, युवा आबादी और जागरूकता, डिजिटल पहुंच में तेजी पर आधारित है।

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