बिना प्लेन के कैसे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने जाएंगे नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम?

वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के साथ उनकी मुलाकात जून के महीने में हो सकती है। पिछले कई दिनों से इस हाई-प्रोफाइल मीटिंग की तैयारियों की भी चर्चा है। यह एक सुखद संकेत है, जिससे वर्षों से जारी कोरिया संकट सुलझने के आसार बढ़ गए हैं। अब इस मुलाकात में एक पेच आ गया है। आपको जानकर शायद हैरत हो कि लाखों जवानों की सेना का कमांडर, अंतरमहाद्वीपीय बलिस्टिक मिसाइल और परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने का दावा करनेवाले नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के पास बिना रुके अमेरिका पहुंचने के लिए कोई प्लेन ही नहीं है।

ऐसे समय में जब किम खुद को दुनिया के एक प्रभावशाली नेता के तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बराबर में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, प्लेन उनकी प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप से मुलाकात करने किम आखिर किस जहाज से और कैसे पहुंचेंगे। दरअसल, प्लेन ऐसा चाहिए जो बिना रुके प्रशांत महासागर को पार करा सके या यूरोप पहुंचा सके।

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वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्ज डब्लू बुश प्रशासन में कोरियाई मामलों के CIA विश्लेषक सू मी टेरी ने कहा, ‘उनके पास जो है, हम उस पर हंस सकते हैं- वह काफी पुराना है। उनके पुराने सोवियत प्लेनों का हम मजाक बना सकते हैं।’ अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखने के लिए किम के पास सीमित विकल्प हैं। वह नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच असैन्य क्षेत्र में मीटिंग रख सकते हैं, जहां वह इसी महीने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून से मिलने वाले हैं।

कुछ जानकारों का कहना है कि किम सहयोगी चीन या फिर रूस से प्लेन मांग सकते हैं। हालांकि कुछ विश्लेषक कहते हैं कि ट्रंप इस मीटिंग को अमेरिका में ही या सिंगापुर, स्विट्जरलैंड या स्वीडन में रख सकते हैं, जहां उन्हें प्योंगयांग के बजाय बेहतर सुरक्षा का माहौल मिलेगा।

सवाल है कि सत्ता पर काबिज होने के बाद जब पहली बार किम नॉर्थ कोरिया से बाहर ट्रेन से पेइचिंग गए थे तो अब लंबी दूरी की यात्रा वह कैसे करेंगे। बुश के समय में नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल में सीनियर एशिया डायरेक्टर रहीं विक्टर चा ने कहा कि कहीं भी जाने के लिए दक्षिण कोरिया या कोई दूसरा देश उनकी मदद कर सकता है लेकिन यह उनके लिए शर्मनाक स्थिति होगी।

अगर किम अपने प्लेन के साथ उड़ते हैं और समिट के रास्ते में उन्हें दोबारा ईंधन के लिए उतरना पड़ता है तो यह उनके प्लेन की सीमा को दुनिया के सामने ला देगा। इतना ही नहीं, वह उतरेंगे कहां पर क्योंकि नॉर्थ कोरिया के खिलाफ कई देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है। किम की चीन यात्रा से यह साफ हुआ है कि वह अपनी छवि को लेकर काफी गंभीर हैं। भले ही उनके देश के 2.5 करोड़ नागरिकों को पर्याप्त भोजन और बिजली न मिल रही हो पर वह अपनी साख को जरूर बचाए रखना चाहेंगे।

राजधानी प्योंगयांग में ऊंची इमारतें बनाई गईं, ज्यादातर पैसा हथियारों पर खर्च किया गया, सिंगल-इंजन वाले जेट्स के लिए कई निजी रनवे बनाए गए पर देश का विकास थम गया। बताते हैं कि किम जोंग द्वितीय विमान से सफर करने से डरते थे। खास मौकों पर वह अपने बेटे उन की तरह ट्रेन से यात्रा करते थे। हालांकि किम ने अपनी छवि बदलने के लिए विमान में बैठे हुए कई तस्वीरें सार्वजनिक कीं। वह बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने स्विट्जरलैंड प्लेन से ही गए। दिसंबर 2014 में सरकारी मीडिया में उनका विडियो जारी हुआ, जिसमें वह यूक्रेन में बने एक एयर कोरयो (देश की सरकारी एयरलाइन) के प्लेन को चलाते दिखे।

2 महीने बाद एक अन्य प्लेन में बैठे किम की तस्वीर आई। किम के प्लेन को ‘एयर फोर्स उन’ बताया गया। हालांकि यह प्लेन शीत युद्ध के समय का Ilyushin-62 था, जो सोवियत संघ में बना था। कुछ जानकारों का कहना है कि इस प्लेन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह पुराना होने के साथ ही रेगुलर टेस्टेड भी नहीं है।

जॉन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी में यूएस-कोरिया इंस्टिट्यूट द्वारा संचालित नॉर्थ कोरिया मामलों को समर्पित वेबसाइट 38 नॉर्थ में योगदान करनेवाले लेखक जोसेफ बरमुड्ज ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई एयरक्राफ्ट नहीं है जो प्रशांत को पार कर सके- ज्यादातर पुराने हैं। 2016 में एयरवेज पत्रिका के प्रकाशक एनरिक पैरेला ने पुराने एयर कोरयो जेट में उड़ान भरी थी। जब वह प्योंगयांग पहुंचे तो उन्हें केवल 2 दर्जन प्लेन्स ही ठीक-ठाक दिखे। कुछ ढंके थे या उनके पार्ट्स मिसिंग थे। पुराने मॉडल वाले प्लेन्स का इस्तेमाल नॉर्थ कोरिया कुवैत, मलयेशिया जैसे देशों के लिए करता रहा है।

लंदन में एविएशन पत्रकार चार्ल्स केनडी ने कहा कि प्योंगयांग से लॉस एंजिलिस तक की फ्लाइट की दूरी करीब 5900 मील की है। इस समय एयर कोरयो की फ्लाइट केवल चीन और रूस के शहरों तक ही जा सकती है। पिछले 2-3 वर्षों में एयर कोरयो के प्लेन्स को कई बार आपात लैंडिंग भी करनी पड़ी है। नॉर्थ कोरिया मामलों के जानकार कर्टिस मेलविन ने कहा कि दूसरे विकल्प यही हैं कि किम रूस या चीन से प्लेन मांगें। हालांकि इससे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ जाएगी।

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