फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट सौदा: जानिए भारत पर क्या पड़ सकता है असर

नई दिल्ली
भारत की सबसे बड़ी ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को वॉलमार्ट ने खरीद लिया है। वॉलमार्ट ने करीब साढ़े नौ खरब रुपये में फ्लिपकार्ट के 70 फीसदी शेयरों को खरीदने की डील फिक्स कर ली है। इस डील के बाद फ्लिपकार्ट के दो फाउंडर्स में से एक सचिन बंसल अपने शेयर बेच कंपनी से अलग हो जाएंगे। इस डील से भारत की ई कॉमर्स इंडस्ट्री पर बड़ा असर पड़ने जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल डील कारोबारियों और उपभोक्ताओं दोनों पर असर डालेगी। आइए जानते हैं कैसे…

ऑनलाइन सेलर्स चिंतित
फ्लिपकार्ट पर मौजूद ऑनलाइन सेलर्स को चिंता इस बात की है कि वॉलमार्ट उन्हें खत्म कर देगी। 500 बिलियन डॉलर की अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट का यह इतिहास रहा है कि वह लो प्राइज की रेस शुरू कर छोटे कारोबारियों को खत्म कर देती है। इन कारोबारियों को डर है कि वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट के माध्यम से अपने प्राइवेट खिलाड़ियों को भारतीय बाजार में उतार प्राइस वॉर शुरू कर देगा। ऑल इंडिया ऑनलाइन वेंडर्स असोसिएशन (AIOVA) के प्रवक्ता का कहना है कि ये प्रॉडक्ट्स तुलनात्मक रूप से काफी कम कीमत के होंगे।

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उन्होंने कहा कि ऐसे में दूसरे विक्रेताओं के लिए बाजार में टिकना मुश्किल हो जाएगा। प्रवक्ता ने कहा कि हम फिलहाल हालात पर नजर रखे हुए हैं। अगर जरूरत पड़ी तो लीगल ऐक्शन भी लिया जाएगा। AIOVA फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन के प्लैटफॉर्म पर 3500 विक्रेताओं का संगठन है।

डरावना सहयोगी
एक दूसरी चिंता यह जताई जा रही है कि फ्लिपकार्ट के रूप में वॉलमार्ट को एक बड़ा सहयोगी मिल गया है। इसके नतीजे डरावने भी हो सकते हैं। वॉलमार्ट वर्षों से भारत में पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि विदेशी निवेश के कड़े प्रावधानों की वजह से वॉलमार्ट ‘कैश ऐंड कैरी’ के थोक बिजनस तक ही सिमटा रहा। 4 साल पहले भारती के साथ वॉलमार्ट के कैश-ऐंड-कैरी बिजनस जॉइंट वेंचर टूटने के बाद भारतीय बाजार में घुसपैठ बनाने के लिए अब फ्लिपकार्ट जरिया बनने जा रहा है। फ्लिपकार्ट ने बिलियन डॉलर्स खर्च कर हैवी डिस्काउंट्स आधारित अपना बिजनस काफी बढ़ा लिया है।

ऐसे में वॉलमार्ट का निवेश न केवल फ्लिपकार्ट को ऐमजॉन से प्रतिद्वंद्विता के लिए अतिरिक्त साधन देगा बल्कि उसे रिटेलिंग, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट में धाकड़ एक मजबूत सहयोगी भी मिलेगा। अमेरिका सहित अन्य जगहों पर वॉलमार्ट की ऐमजॉन के साथ तगड़ी प्रतिस्पर्धा है। घरेलू बाजार में वॉलमार्ट के लिए ऐमजॉन बड़ी चुनौती बना हुआ है। ऐसे में वॉलमार्ट ग्लोबली अपने बिजनस को बढ़ाने में जुटा है। वह खुद को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए जेट डॉट कॉम, शूबाई और बोनोबॉस का अधिग्रहण कर चुका है। वॉलमार्ट को इसके मिले जुले परिणाम मिले हैं। चीन और जापान में कंपनी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में फ्लिपकार्ट के रूप में भारत में भी उसके पहले मजबूत कदम की उम्मीद की जा रही है।

रिसर्चर फॉरेस्टर के मुताबिक ऐमजॉन भारत में थोड़े अंतर से फ्लिपकार्ट से आगे है। इसका फैशन यूनिट भारत के 40 फीसदी ऑनलाइन रिटेल मार्केट पर दखल रखती है। ई-कॉमर्स में वॉलमार्ट की पैठ की कोशिशों ने ऐमजॉन को ऑफलाइन रिटेल की तरफ भी बढ़ा दिया है। कंपनी ने इसके लिए भारतीय रिटेलर शॉपर्स स्टॉप लिमिटेड में 27.6 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। ऐसे में वॉलमार्ट के निवेश से मजबूती पाए फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन के बीच की यह लड़ाई बाजार के छोटे प्लेयर्स के लिए खतरनाक है क्योंकि प्राइस, क्वॉलिटी और डिलिवरी में तीखी प्रतिद्वंद्विता में उनका टिकना मुश्किल है।

इकॉनमी को मिलेगा बूस्ट
वॉलमार्ट के उतरने से अब फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन के बीच भारतीय बाजार पर कब्जे की लड़ाई और तेज हो जाएगी। ऐमजॉन भारत में अपने ऑपरेशंस पर 5 बिलियन डॉलर खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालिया इन्वेस्टर कॉल में ऐमजॉन के सीएफओ ब्रायन ने कहा भी है कि सेलर्स और कस्टमर्स में भारी संभावनाओं को देखते हुए कंपनी निवेश जारी रखेगी। ऐसे में फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन की लड़ाई न केवल सप्लाई चेन का एक वृहद इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगी बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा।

इंडस्ट्री डेटा के मुताबिक 2016 के 13 खरब डॉलर के मुकाबले 2027 तक भारत की कुल खपत 36 खरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। रिटेल मार्केट भी 2016 के 650 अरब डॉलर के मुकाबले 18 खरब डॉलर तक पहुंच सकता है। खासकर फूड और ग्रॉसरी का सेगमेंट 2016 के 420 अरब डॉलर के मुकाबले 2027 तक 11 खरब डॉलर तक पहुंच सकता है। ऐसे में वॉलमार्ट ऐग्रिकल्चर में भी निवेश को प्रेरित होगा। फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन के बीच की लड़ाई ऐग्रिकल्चर व इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़ा बूस्ट देगी। डिमांड बढ़ने से किसानों को फायदा पहुंचेगा। यह लड़ाई उपभोक्ता मांग को भी आगे लेकर जाएगी।

कम कीमत, ज्यादा वरायटी
अमेरिकी दिग्गज वॉलमार्ट की भारत में एंट्री इंडियन रिटेल मार्केट में लो प्राइज और ज्यादा वरायटी लाकर क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। वॉलमार्ट को फर्स्ट वर्ल्ड इकॉनमी में ऐसा करने का अनुभव भी है। ऐसे में ऐमजॉन से उसकी लड़ाई भारत के उपभोक्ताओं को कम कीमत पर ज्यादा वरायटी पाने की असीम संभावनाओं के दरवाजे खोल सकती है।

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