फेल हुई केजरीवाल की दवा ऑनलाइन करने की योजना, 60 फीसदी दवाएं नहीं

नई दिल्ली
पूर्वी मंत्री कपिल मिश्रा के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अस्पतालों में दवाओं की जानकारी ऑनलाइन की। हर दिन स्वास्थ्य विभाग ने सभी दवाओं की लिस्ट को सार्वजनिक भी किया। खासतौर पर विभाग ने एक ऑनलाइन सिस्टम भी तैयार किया, लेकिन अब 2 महीने बाद लापरवाही और तकनीकी खामियों की वजह से सिस्टम बंद हो गया। कई बड़े अस्पतालों में दवाओं की जानकारी यह सिस्टम नहीं दे पा रहा है। बताया जा रहा है कि ऑनलाइन दवाओं का यह सिस्टम करीब 20 अस्पताल और 8 डिस्पेंसरी में दवाओं की जानकारी नहीं दे रहा है।

उधर, दिल्ली गेट स्थित सरकार के मुख्य अस्पतालों में से एक जीबी पंत सुपर स्पेशिऐलिटी से भी दवाएं न होने की जानकारी मिली है। सूत्रों की मानें, तो करीब 60 फीसदी से ज्यादा दवाएं इस समय अस्पताल में मौजूद नहीं है। घंटों लाइन में लगने के बाद मरीज के परिजनों को दवाएं स्टोर में न होने का हवाला दिया जा रहा है।

गंभीर बात यह है कि डॉक्टर भी पर्चियों पर अब फिर से बाहरी दवाएं लिखने लगे हैं। लाख कोशिशों के बाद भी जेनेरिक मेडिसिन कागजों पर दिखाई नहीं दे रही हैं। इस पर एक सीनियर डॉक्टर का कहना है कि अगर मरीज को अस्पताल में दवा नहीं मिल रही है, तो कहीं से उसे उपलब्ध करानी होगी। बगैर दवा के वह जिंदा नहीं रह सकेगा। ऐसे में एक डॉक्टर होने के नाते उनके पास पर्ची पर प्राइवेट दवाएं लिखने के अलावा दूसरा कोई विकल्प मौजूद ही नहीं है।

अस्पताल की है जिम्मेदारी
दवाओं को लेकर जब स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया गया, तो उनका कहना है कि अब दवाओं की उपलब्धता की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की है। अगर किसी मरीज को दवाएं नहीं मिल रही हैं, तो वे इसके बारे में पहले संबंधित अस्पताल के अधीक्षक से शिकायत करें। दो दिन तक इंतजार के बाद भी दवाएं नहीं मिलती है, तो विभाग को इसकी शिकायत करें। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर अब सभी अस्पतालों को जरूरतमंद दवाएं खुद से खरीदने का अधिकार दे दिया गया है।

इन अस्पतालों में भी हालात एक समान
डॉ बाबा साहब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल
आईएलबीएस
सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर
इंडियन सिस ऑफ मेडिसिन एंड होम्योपैथी विंग
सीडीएमओ- सेंट्रल, शाहदरा, नॉर्थ ईस्ट, नई दिल्ली

दो महीने पहले डाला था लिंक

दवा खरीद में घोटालों के आरोप के बाद आनन-फानन में अधिकारियों ने दिल्ली स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी विभागों और अस्पतालों के लिंक तो दे दिए, लेकिन दवाओं की वर्तमान स्थिति क्या है इसकी जानकारी नहीं अपलोड की। नए विभाग में ड्रग सेंट्रल ऑफिस, डिपार्टमेंट ऑफ फूड सेफ्टी, स्कूल हेल्थ स्कीम तक को शामिल किया गया है लेकिन इनसे संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई है। वेयर हाउस और खुद सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी तक के दवा भंडार की जानकारी नहीं दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इसमें स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कुल 67 विभागों और अस्पतालों के लिंक डाले गए हैं, ताकि कोई भी दवाओं की उपलब्धता की जानकारी ले सके।

10 में से 8 दवाएं भी नहीं
लक्ष्मी नगर निवासी मेधा कुमारी बताती हैं कि वे अपने पति को लेकर अक्सर जीबी पंत अस्पताल जाती हैं। उनके पति को हार्ट की प्रॉब्लम है। अभी दो दिन पहले ही वे अस्पताल गईं थीं। डॉक्टरों ने उनके पति को करीब 10 दवाएं लिखीं। जब मेडिकल स्टोर पहुंचे तो 8 दवाएं यह कहकर देने से इनकार कर दिया कि स्टॉक में नहीं है। घर आने के बाद जब मेधा के बेटे रवि ने ऑनलाइन लिंक पर जाकर दवाओं की जानकारी ली, तो वहां उन्हें पता चला कि अस्पताल में आधी से ज्यादा दवाओं की जानकारी ही नहीं है। अस्पताल के ही एक फॉर्मासिस्ट ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि जीबी पंत में इस समय न सिर्फ दवाएं बल्कि इंजेक्शन, सर्जरी का सामान, बैंडेज और ग्लव्स तक का टोटा है।

नहीं करते बात, न देते जवाब

जीबी पंत के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉक्टर राजीव चावला से दवाओं की कमी पर जब जानकारी मांगने का प्रयास किया गया, तो हमेशा की तरह इस बार भी कोई जवाब नहीं मिला। न उन्होंने फोन उठाया और न ही मिलने का वक्त दिया।

थोड़ा और लग सकता है वक्त

डॉक्टर विजय कुमार, डायरेक्टर मेडिसिन, स्वास्थ्य विभागटेंडर प्रॉसेस और तकनीकी खामियों की वजह से कई विभागों और अस्पतालों की डिटेल अब तक वेबसाइड पर अपलोड नहीं की जा सकी है। इसमें अभी थोड़ा वक्त लगेगा।

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