पार्षदों को लैपटॉप-प्रिंटर के लिए न!

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

नॉर्थ एमसीडी में चल रही ‘आर्थिक विपन्नता’ उसके पार्षदों पर भी भारी पड़ने लगी है। बजट की कमी के कारण पार्षदों का फंड तो रुका हुआ है ही, अब उन्हें मिलने वाले लैपटॉप और प्रिंटर भी रोक दिए गए हैं। कहा गया है कि नॉर्थ एमसीडी में गंभीर वित्तीय संकट चल रहा है, इसलिए इस मसले की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। इस सुविधा को रोकने से पार्षद काफी नाराज हैं। मेयर प्रीति अग्रवाल का कहना है कि वह इस बाबत कमिश्नर से पूछताछ करेंगी।

राजधानी की तीनों एमसीडी का गठन होने के बाद इस साल जून माह में नॉर्थ एमसीडी की बुलाई दूसरी बैठक में मेयर प्रीति अग्रवाल ने सभी 104 पार्षदों को लैपटॉप व प्रिंटर दिए जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित उसे कमिश्नर को भेज दिया था। बैठक में कुछ पार्षदों ने कहा था कि उन्हें अपने काम को सुचारू चलाने के लिए लैपटॉप व प्रिंटर की जरूरत तो है ही साथ ही उन्हें इन्हें चलाने के लिए स्टाफ भी चाहिए। लेकिन मेयर ने उन्हें यह अतिरिक्त सुविधा दिए जाने में असमर्थता जता दी थी और कहा था कि वे खुद ही इन्हें चलाना और इनका उपयोग करना सीखे। माना जा रहा था कि एक-दो माह के बाद सभी पार्षदों को लैपटॉप व प्रिंटर मिल जाएंगे और वे ‘हाईटेक’ हो जाएंगे। लेकिन पता चला है कि उनकी फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।

सूत्र बताते हैं कि हाल ही में नॉर्थ एमसीडी के निगम कार्यालय के एक आला अधिकारी ने लैपटॉप-प्रिंटर की फाइल को कमिश्नर मधुप-व्यास के सामने पेश किया था और कहा था कि हर बार निर्वाचित पार्षदों को लैपटॉप-प्रिंटर दिए जाने का चलन है, लिहाजा इस बार भी उन्हें इनको देने की इजाजत दी जाए। बताते हैं कि इस मसले को लेकर कमिश्नर ने फाइनेंस विभाग के अफसरों से बात की तो बताया गया कि नॉर्थ एमसीडी के पास बैलेंस में कोई धनराशि नहीं बच रही है। जो भी राजस्व आता है, वह 67 हजार स्टाफ को वेतन देने में खर्च हो जाता है। कमिश्नर को यह भी जानकारी दी गई कि एमसीडी का हर साल का राजस्व करीब 2000 करोड़ है, इसके अलावा उसे हर साल 1000 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार से मिलते हैं। यह पूरी राशि वेतन पर खर्च हो रही है। हालात इतने मुश्किल भरे चल रहे हैं कि कई योजनाएं लगातार पेंडिंग होती जा रही हैं। बताते हैं कि बदतर माली हालत देखते हुए कमिश्नर ने इस फाइल को फिलहाल होल्ड पर डाल दिया है।

इस मसले पर मेयर प्रीति अग्रवाल का कहना है कि पार्षदों को लैपटॉप-प्रिंटर देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से लिया गया है और ये आजकल जरूरी भी हैं। वह इस बाबत कमिश्नर को तलब करेंगी और उनसे पूछेंगी कि पार्षदों को लैपटॉप-प्रिंटर देने में देरी क्यों की जा रही है। इस मसले पर कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल ने खासी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि उनकी पार्टी के पार्षद लगातार पूछताछ कर रहे हैं कि उन्हें लैपटॉप की सुविधा कब मिलेगी। अगर एमसीडी को नहीं देना चाहिए था तो फिर प्रस्ताव क्यों पारित किया गया।

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