नोटबंदी, रुपये की मजबूती और RBI की नीतियों के चलते मंद पड़ी आर्थिक ग्रोथ: पॉल क्रुगमैन

मुंबई
भारत की इकॉनमिक ग्रोथ की रफ्तार धीमी होने की वजह मोदी सरकार की ओर से की गई नोटबंदी, आरबीआई की तेजतर्रार नीति और रुपये की मजबूती है। अमेरिका के दिग्गज नोबेल विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने यह राय व्यक्त की है। बुधवार को क्रुगमैन ने कहा कि भारत जैसे देश की जीडीपी ग्रोथ 6 फीसदी रहना चिंताजनक है। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया में सबसे अधिक वर्किंग ऐज पॉप्युलेशन होने के बावजूद भारत की ग्रोथ कमजोर रहने पर सवाल खड़े किए।

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क्रुगमैन ने कहा, ‘आपकी 6 पर्सेंट की ग्रोथ वास्तव में निराश करने वाली है। आपको संभवत: 8 से 9 पर्सेंट की आर्थिक ग्रोथ से आगे बढ़ना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्था के मुकाबले यह मुद्दे भारत की इकॉनमी को प्रभावित कर रहे हैं। देश की आर्थिक ग्रोथ के कमजोर रहने को लेकर क्रुगमैन ने कहा कि इसकी बड़ी वजह नवंबर में अचानक हुई नोटबंदी भी है। इसके अलावा कड़ी मौद्रिक नीति और मजबूत रुपये ने भी भारत के एक्सपोर्ट की संभावनाओं को कमजोर करने का काम किया है।

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उन्होंने कहा, ‘आपका डिमॉनेटाइनजेश कुछ ऐसा था, जिसने कारोबार में बाधा पैदा की। मौद्रिक नीति इतनी कड़ी है, जिसे आसानी से सही करार नहीं दिया जा सकता। मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि आखिर इस मौद्रिक नीति में कुछ ढील क्यों नहीं दी जा सकती।’ आरबीआई की ओर से यथास्थिति बनाए रखने को लेकर क्रुगमैन ने कहा कि यदि विकसित अर्थव्यवस्थाएं देखती हैं कि बाजार कमजोर है तो वे मॉनिटरी पॉलिसी में थोड़ी ढील की चर्चा करने लगती हैं।

महंगाई दर के लगातार 4 पर्सेंट से नीचे रहने के बाद भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती न करने के अपने फैसले में अब तक कोई बदलाव नहीं किया है। फाइनैंशल इयर 2016-17 के आखिरी क्वॉर्टर में देश की जीडीपी ग्रोथ 6.1 पर्सेंट रही है। इकॉनमी में इस गिरावट के लिए नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

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