नीरव मोदी के खिलाफ इंटरपोल ने जारी किया रेड कॉर्नर नोटिस

नई दिल्ली
अरबों रुपये के बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस नीरव के भाई निशाल मोदी और उसकी कंपनी के एग्जिक्युटिव सुभाष परब के खिलाफ भी जारी हुआ है। नीरव और उनके मामा मेहुल चोकसी पर पंजाब नशनल बैंक के साथ बड़ी धोखाधड़ी करने का आरोप है।

नीरव के खिलाफ फरवरी में एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद भारतीय जांच एजेंसियों ने RCN जारी करने के लिए इंटरपोल से संपर्क किया था।

CBI और एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने नीरव और मेहुल चोकसी के खिलाफ पिछले मई में चार्जशीट दाखिल की थी। नीरव और चोकसी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद जांच एजेंसियों को अभी तक इन दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस हासिल नहीं हुआ था। रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाने का उद्देश्य अन्य देशों को एक आरोपी के बारे में सतर्क करना है। इससे आरोपी की यात्रा पर रोक लगेगी और उसे संबंधित देश में औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया जाएगा।

इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए पहले चार्जशीट दाखिल करने की मांग की थी। चार्जशीट तुरंत दाखिल नहीं की जा सकती थी और इस वजह से इंटरपोल से नीरव के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का निवेदन किया गया था जिससे उन्हें विदेश में हिरासत में लिया जा सके। लेकिन यह निवेदन प्रक्रिया का हवाला देकर ठुकरा दिया गया था।

मुंबई की एक अदालत ने नीरव और चौकसी के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किए थे। इन दोनों डायमंड कारोबारियों पर जाली लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के इस्तेमाल से बैंकिंग सिस्टम को 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।

CBI की ओर से फरवरी में पहला मामला दर्ज करने के बाद सरकार ने इन दोनों के पासपोर्ट रद्द कर दिए थे। नीरव मामला दर्ज होने से एक महीना पहले ही देश छोड़कर चले गए थे। चोकसी ने 4 जनवरी को देश से बाहर गए थे। ED ने नीरव और चौकसी से जुड़ी हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की है।

क्या है रेड कॉर्नर नोटिस
इंटरपोल कुल मिलाकर 7 तरह के नोटिस जारी कर सकता है। इनमें से छह नोटिस के नाम कलर के नाम पर रखे गए हैं। रेड कॉर्नर नोटिस भी इन्हीं में से एक होता है। इसके अलावा, दूसरे नोटिस इस तरह हैं ब्लू, ग्रीन, येलो, ब्लैक, ऑरेंज और इंटरपोल यूएन। जहां तक रेड कॉर्नर नोटिस का सवाल है तो इंटरपोल इसे किसी सदस्य देश के कहने पर जारी करता है। इसका मकसद सभी सदस्य देशों को यह सूचना देना होता है कि किसी खास शख्स के खिलाफ उसके देश में अरेस्ट वॉरंट जारी हो चुका है। रेड कॉर्नर नोटिस इंटरनैशनल अरेस्ट वॉरंट नहीं होता क्योंकि अरेस्ट वॉरंट जारी करने का हक संबंधित देश को है, लेकिन मोटे तौर पर इसे इंटरनैशनल अरेस्ट वॉरंट की तरह ही लिया जाता है। इंटरपोल ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने के लिए न तो अपने अधिकारियों को भेजता है और न ही अपने सदस्य देशों में से किसी से यह डिमांड करता है कि उस शख्स को गिरफ्तार किया जाए।

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