नए RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने ने संभाला कामकाज, 4 अक्टूबर को करेंगे पहली मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान

आत्मदीप रे , कोलकाता
उर्जित पटेल ने सोमवार को रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर के तौर पर पद संभाल लिया। उन्होंने रघुराम राजन की जगह ली है जिनका कार्यकाल 4 अगस्त को पूरा हुआ था। पटेल के शपथ ग्रहण का औपचारिक समारोह मंगलवार को होगा क्योंकि 4 सितंबर को रविवार था और 5 सितंबर को महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के मौके पर अवकाश था।

पटेल के हाथ में आरबीआई की कमान ऐसे वक्त आई है, जब इसकी ताकत घटी है। ब्याज दरों पर अब आरबीआई गवर्नर के बजाय मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी फैसला करेगी। हालांकि पटेल को महंगाई पर काबू पाने की आरबीआई की मौजूदा नीति का मुख्य सूत्रधार माना जाता है और ऐसे में बाजार की नजर इस बात पर होगी कि वह मंहगाई पर काबू और बेहतर लोन डिस्ट्रिब्यूशन के बीच कैसे संतुलन बनाते हैं। पटेल को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ग्लोबल इकॉनमी की सुस्ती का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर न पड़े।

उर्जित पटेल 4 अक्टूबर को अपना पहला मॉनेटरी पॉलिसी स्टेटमेंट जारी करेंगे। खाने-पीने की चीजों के दाम में हालिया बढ़ोतरी को देखते हुए हालांकि पटेल शायद रेट कट न करें। महंगाई के बारे में कुछ और साफ तस्वीर 12 सितंबर को मिल सकती है, जब सरकार कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स डेटा जारी करेगी। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के चीफ इकनॉमिस्ट देवेंद्र कुमार पंत ने ईटी से कहा, ‘4 अक्टूबर की पॉलिसी में रेट कट की गुंजाइश सीमित है क्योंकि खाने-पीने की चीजों के दाम हाल में चढ़े हैं और महंगाई का नियर टर्म आउटलुक भी तेजी के रुझान वाला है।’

जनवरी 2013 से पटेल आरबीआई में डेप्युटी गवर्नर के रूप में काम कर रहे थे। वह मॉनेटरी पॉलिसी के इंचार्ज भी थे। इसे देखते हुए मार्केट ऐनलिस्ट्स को लग रहा है कि आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। डेप्युटी गवर्नर के रूप में पटेल ने मॉनेटरी पॉलिसी फ्रेमवर्क को बदलने और मजबूत करने के लिए बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी की अध्यक्षता भी की थी।

डेप्युटी गवर्नर के रूप में पहले तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर 11 जनवरी 2016 को पटेल को दोबारा इस पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड में काम कर चुके थे। 1996-1997 में वह डेप्युटेशन पर आईएमएफ से आरबीआई में आए थे। उस रोल में उन्होंने डेट मार्केट के डिवेलपमेंट, बैंकिंग सेक्टर रिफॉर्म्स, पेंशन फंड रिफॉर्म्स और फॉरेन एक्सचेंज मार्केट के बारे में सलाह दी थी।

पटेल 1998 से 2001 तक फाइनैंस मिनिस्ट्री में कंसल्टेंट थे। वह केंद्र और राज्य सरकारों की कई उच्चस्तरीय समितियों में रहे हैं। इनमें डायरेक्ट टैक्सेज पर टास्क फोर्स (केलकर कमिटी), सिविल और डिफेंस सर्विसेज पेंशन सिस्टम की समीक्षा के लिए बनी उच्चस्तरीय विशेषज्ञ कमिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर पर प्रधानमंत्री का कार्यबल जैसी समितियां शामिल हैं।

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