नई आर्थिक नीतियां साइड इफेक्ट वाली दवा: अरविंद पनगढ़िया

वरिष्ठ संवाददाता, कानपुर नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि नई आर्थिक नीतियां उस दवा की तरह हैं, जो इलाज के लिए दी जाती है लेकिन कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि दवा खराब है। उन्होंने कहा कि इस साल देश की ग्रोथ रेट 8 पर्सेंट को क्रॉस कर जाएगी। ब्रेग्जिट का भारत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।

आईआईटी कानपुर के कॉन्वोकेशन के चीफ गेस्ट पानागढ़िया ने नए आर्थिक सुधारों की जमकर तरफदारी की। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में मजूदर पर्याप्त थे, लेकिन पूंजी कम थी। हमने मजदूरों की ज्यादा जरूरत वाली इंडस्ट्री जैसे टेक्सटाइल, शूज, स्पोर्ट्स गुड्स आदि लगाईं। स्मॉल स्केल इंडस्ट्री भी लगाई गईं। कम पूंजी में यहां ज्यादा लोगों को रोजगार मिला, लेकिन ये उद्योग लोकल मार्केट तक सिमट गए। ग्लोबल मार्केट का हम फायदा नहीं उठा सके। 1991 के बाद इसमें सुधार हुआ, लेकिन नुकसान हो चुका था। चीन और साउथ कोरिया जैसे देश पहले ही काफी तरक्की कर चुके हैं। 1991 में खत्म किए जा चुके अर्बन लैंड सीलिंग एक्ट पर कहा कि इसकी वजह से न तो सरकार जमीन ले सकी और न लोग बेच सके। कानून वापस होने के बाद अब तक मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में जमीन की कमी है।

चीन की बराबरी अभी नहीं
मीडिया से बातचीत में वह बोले कि अगले 7 साल तक लगातार 10 पर्सेंट की ग्रोथ रेट हासिल करने के बावजूद इकॉनमी 4 ट्रिलियन की होगी। चीन की बराबरी करने में हमें काफी वक्त लगेगा। सरकार ने काफी सुधार किए हैं। ब्रिटेन में जनमत संग्रह के बाद साइकॉलजिकल वजहों से स्टॉक मार्केट पर असर पड़ा, लेकिन अब सब ठीक है। ग्रोथ रेट से जॉब बढ़ेगी और गरीबी खत्म होगी। 2-3 बार रिवाइवल के बावजूद बीमार पड़ी कंपनियों को बंद किया जाएगा। विनिवेश पर भी काम जारी है। मनरेगा को प्रभावी बनाने के सुझावों पर विचार जारी है। नए लैंड एक्ट पर काम आखिरी फेज में है। जल्द यह कैबिनेट में जाएगा। इसमें किसान अपनी जमीन किराए पर दे सकेंगे।

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