थोक मुद्रास्फीति जुलाई में 3.55 प्रतिशत पर पहुंची, खाद्य वस्तुएं महंगी

नयी दिल्ली, 16 अगस्त :भाषा: खाद्य वस्तुओं की कीमत में वृद्धि से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई माह में तेजी से बढ़ती हुई 3.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसको देखते हुए उद्योग जगत ने आपूर्ति बढाने के मांग की अड़चनों से जुड़े मुद्दे के समाधान के लिये सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है।

थोकमूल्य सूचकांक :डब्ल्यूपीआई: आधारित मुद्रास्फीति जून में 1.62 प्रतिशत थी जबकि एक साल पहले जुलाई में यह शून्य से चार प्रतिशत नीचे थी।

इससे पहले, डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अगस्त 2014 में 3.74 प्रतिशत रिकार्ड की गयी थी।

उद्योग जगत ने आशंका जताते हुए कहा कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति से उपभोक्ता महंगाई बढ़ सकती है और रिजर्व बैंक तथा सरकार के लिये उपभोकता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुसार छह प्रतिशत के स्तर पर काबू करना मुश्किल हो सकता है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक जुलाई माह में खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंक में पहुंचकर 11.82 प्रतिशत रही। इस खंड में प्याज को छोड़कर सभी उत्पादों में मुद्रास्फीति बढ़ी है।

रोजमर्रा के इस्तेमाल की सब्जी आलू का दाम 58.78 प्रतिशत, दाल :35.76 प्रतिशत:, सब्जी :28.05 प्रतिशत: तथा अनाज :7.03 प्रतिशत: मजबूत हुए।

वहीं एक साल के पहले के मुकाबले चीनी 32.33 प्रतिशत महंगी हो गई। फलों के दाम 17.30 प्रतिशत मंहगे हुए।

डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति नवंबर 2014 से मार्च 2016 तक शून्य से नीचे रहा और अप्रैल से इसमें वृद्धि जारी है।

खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी बढ़कर 6.07 प्रतिशत हो गयी है जो रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से उपर है।

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