डोकलाम विवाद : कूटनीतिक पहल की कोशिश तेज, चीन ने दिए संकेत
|डोकलाम मसले पर भारत और चीन में जारी तल्खी के बीच दोनों देश पर्दे के पीछे कूटनीतिक पहल की भी कोशिश कर रहे हैं। चीन ने इस सप्ताह पेइचिंग में होने वाली BRICS NSAs बैठक के दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक का संकेत दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कंग ने सोमवार को कहा कि BRICS NSAs की मीट के दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और स्टेट काउंसलर येन जेइची के बीच मुलाकात हो सकती है। कंग ने साथ ही कहा कि वह इस बैठक की पुष्टि नहीं कर रहे हैं, लेकिन पहले भी ऐसी द्विपक्षीय बैठकें हुई हैं।
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कंग ने कहा, ‘मेरे पास इस बारे में कोई उचित जानकारी नहीं है। जहां तक पिछली बैठक की बात है तो मेजबान देश ने प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों की द्विपक्षीय बैठक आयोजित की थी। इस बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने आपसी संबंधों, BRICS में आपसी सहयोग जैसे मुद्दों पर बातचीत की थी।’
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गौरतलब है कि डोभाल इस सप्ताह BRICS NSAs की बैठक में भाग लेने के लिए पेइचिंग जाने वाले हैं। यह बैठक 27-28 जुलाई को होनी है। डोभाल और येन भारत और चीन की तरफ से सीमा मुद्दे पर बात करने के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने डोभाल की पेइचिंग यात्रा के बारे में सवाल पर पिछले सप्ताह कहा था कि अगर इस यात्रा के दौरान कुछ अन्य कार्यक्रम तय होता है तो उसके बारे में मीडिया को जानकारी दी जाएगी।
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कंग से यह पूछे जाने पर कि क्या BRICS NSAs की बैठक में डोकलाम का मुद्दा भी उठेगा, उन्होंने कहा, ‘चीन और भारत के बीच सहज कूटनीतिक रिश्ते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘भारतीय सेना ने गैरकानूनी तरीके से चीन की सीमा का उल्लंघन किया है। हम एक बार फिर भारत से आग्रह करते हैं कि वह अपनी सेना को पीछे हटा ले। मैं फिर से यह दोहराना चाहता हूं कि दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए यही शर्त है।’
कंग ने इस बारे में किसी प्रकार की टिप्पणी से इनकार कर दिया कि क्या BRICS NSAs चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग या प्रधानमंत्री ली कोचांग से मिलेंगे या नहीं। आमतौर पर यह परंपरा रही है कि BRICS NSAs की बैठक के बाद मेजबान देश के शीर्ष नेताओं से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात होती है।
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गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच डोकलाम मुद्दे पर पिछले एक महीने से तनातनी बनी हुई है। डोकला इलाके में चीन द्वारा सड़क निर्माण का भारत ने कड़ा विरोध किया था। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर की लंबी सीमा है जिसमें सिक्किम इलाके में 220 किलोमीटर की सीमा चीन से लगती है।
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