हैंडशेक को लेकर फिर सुर्खियों में ट्रंप, एंजेला को किया इनकार

वॉशिंगटन
अमेरिका के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के समय से ही लगातार सुर्खियों में बने डॉनल्ड ट्रंप एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। इस बार किसी बयानबाजी को लेकर नहीं बल्कि ‘हैंडशेक’ को लेकर। अमेरिकी दौरे पर आईं जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और ट्रंप वाइट हाउस में मुलाकात के बाद औपचारिक फोटो सेशन के लिए बैठे लेकिन ट्रंप ने मर्केल से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया।

वाइट हाउस स्थित ओवल ऑफिस में बैठक के बाद औपचारिक फोटो सेशन के दौरान ट्रंप और एंजेला मर्केल कुर्सियों पर बैठे थे। इस दौरान वहां मौजूद फटॉग्राफर्स, रिवाज के अनुसार बार-बार दोनों को हाथ मिलाने के लिए कह रहे थे। जिस पर मर्केल भी आगे बढ़कर ट्रंप से पूछती दिखीं कि क्या वह हाथ मिलाना चाहेंगे। हालांकि ट्रंप ने इसे बिल्कुल अनसुना करते हुए अपना मुंह दूसरी तरफ मोड़ लिया। ट्रंप ने अपना हाथ घुटनों के पास ही टिकाए रखा और मर्केल की तरफ देखा तक नहीं। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच बैठक के बाद ट्रंप के इस रवैये से प्रतीत हुआ कि उनके बीच की बातचीत सौहार्दपूर्ण नहीं रही।

सोशल मीडिया पर यह विडियो चर्चा का ट्रंप इससे पहले अमेरिका के दौरे पर आए जापानी पीएम शिंजो आबे के साथ अजीबोगरीब हैंडशेक को लेकर भी चर्चा में रहे थे।

ट्रंप ने एंजेला मर्केल के साथ इस उच्चस्तरीय वार्ता के बाद मीडिया ब्रीफिंग में एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर फोन टैपिंग को लेकर निशाना साधा। उन्होंने जर्मन चांसलर की मौजूदगी में मीडिया के सामने कहा, ‘शायद हमारे बीच कुछ समानता है।’ हालांकि ट्रंप जब फोन टैपिंग का जिक्र कर रह थे तो मर्केल चुप ही रहीं। गौरतलब है कि बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने जर्मन चांसलर मर्केल के फोन की निगरानी की थी जिसे लेकर अमेरिका को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था।

ट्रंप और मर्केल ने नाटो सैन्य गठबंधन और व्यापार समेत कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि नाटो सहयोगियों को रक्षा की अपनी उचित लागत का भुगतान करना चाहिए। हालांकि, ट्रंप ने सैन्य गठबंधन के लिए अपना पुरजोर समर्थन फिर से जाहिर किया।

ट्रंप ने सम्मेलन में जोर देकर कहा, ‘मैंने जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से नाटो के लिए अपना पुरजोर समर्थन दोहराया और नाटो सहयोगियों की ओर से रक्षा की लागत के उचित हिस्से के भुगतान की जरूरत भी जताई। कई देशों पर पिछले सालों की बड़ी रकम बकाया है और अमेरिका के लिए यह बेहद नाइंसाफी है । इन देशों को अपने उचित हिस्से का भुगतान करना चाहिए।’

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