डीडीए की राहत में झमेले
|दिल्ली के कारोबारियों को राहत देने और उनकी दुकानों को सीलिंग से बचाने के लिए डीडीए की प्रस्तावित राहत पर सवाल उठने लगे हैं। कारोबारी इस राहत से निराश नजर आ रहे हैं तो टाउन प्लानर ने इस राहत पर नाराजगी जताई है। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में कारोबारी संगठन इसके विरोध में आ सकते हैं तो डीडीए द्वारा मांगे गए सुझावों पर कड़ी आपत्तियां आ सकती हैं।
निर्णय और पेच
डीडीए ने मास्टर प्लान में संशोधन करते हुए एफएआर को बढ़ाकर 350 कर दिया है। लेकिन शर्त भी जोड़ी है कि यह सुविधा उसी कारोबारी को मिल पाएगी, जो अपनी दुकान या कारोबारी संस्थान के ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग की सुविधा देगा। डीडीए ने कमर्शल इलाकों में बेसमेंट चलाने की सुविधा के अलावा 12 मीटर चौड़ी सड़कों पर कृषि गोदाम को चलाने की इजाजत दी है। इसमें भी शर्त हैं कि इसके लिए गोदाम या बेसमेंट मालिक के अलावा फायर विभाग का एनओसी होना चाहिए। डीडीए ने कन्वर्जन चार्ज पर सीधे तौर पर राहत नहीं दी है सिर्फ पैनल्टी को 10 गुना से घटाकर दो गुणा कर दिया है। इसमें परेशानी यह है कि डीडीए ने अभी तक ये जानकारी नहीं दी है कि कन्वर्जन चार्ज कब तक दिया जाएगा। इस चार्ज पर ब्याज घटाने के लिए भी कुछ नहीं कहा गया है।
ये हो सकती है आपत्तियां
कारोबारियों का मानना है कि बढ़े एफएआर की सुविधा के लिए पार्किंग का प्रावधान इसे लागू ही नहीं कर पाएगा। पहली बात तो यही है कि पुरानी दिल्ली जैसे इलाकों में ग्राउंड फ्लोर पर यह सुविधा कैसे मिलेगी। वहां तो कारोबार चल रहा है, उसे कौन खाली करेगा। वहां हर फ्लोर पर दुकानें खुली हुई हैं और उसका मालिक अलग है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल व दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा के अनुसार यह छूट ही अव्यावहारिक है। इसका लाभ मिल ही नहीं सकता। बेसमेंट और गोदाम चलाने के लिए लगाई गई शर्त को पूरा करना मुश्किल होगा। इसके लिए कारोबारियों के बीच टकराव हो जाएगा। सीलिंग को लेकर कारोबारियों का जो आंदोलन चल रहा है, उसमें कन्वर्जन चार्ज में राहत की मांग उठ रही है। लेकिन इसके बजाय मात्र पैनल्टी घटाई गई है, ब्याज और चार्ज पर कोई राहत नहीं दी गई है, जो छोटे-बड़े दुकानदारों का लाखों से करोड़ों रुपये बन रहा है। कारोबारी मांग कर रहे हैं एफएआर कम कर दो और कन्वर्जन चार्ज में कुछ तो राहत दो।
कैसे होगा दिल्ली का विकास
दिल्ली की टाउन प्लानिंग पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ सालों से यह मांग कर रहे हैं कि रिहायशी इलाकों में किसी भी हाल में कमर्शल गतिविधि नहीं होनी चाहिए। इस छूट से दिल्ली स्लम में बदलती जा रही है। डीडीए के पूर्व अडिशनल कमिश्नर (टाउन प्लानिंग) व सिटी प्लानर आरजी गुप्ता का कहना है कि कमर्शल इलाकों में पार्किंग का प्रावधान कैसे लागू हो पाएगा। पार्किंग बाजार के अंदर होगी तो वहां के हालात बिगड़ेंगे। पार्किंग बाजारों से हटकर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के समुचित विकास के लिए प्लानिंग अर्थारिटी बनानी चाहिए। इसके अलावा रिहायशी इलाकों में अनअप्रूव्ड कमर्शल गतिविधियां पूरे तौर पर बंद होनी चाहिए। गुप्ता के अनुसार वह एक्सपर्ट के साथ मिलकर इस छूट का विरोध करने के लिए जल्द आपत्तियां दर्ज करवाएंगे।
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