डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में अनिल अंबानी की एंट्री

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अनिल अंबानी का रिलायंस ग्रुप डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एंट्री कर रहा है। मार्केट में उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा ग्रुप, एलऐंडटी और महिंद्रा ग्रुप पहले से ही मौजूद हैं। एक अनुमान के मुताबिक यह मार्केट अगले 10 साल में 100 अरब डॉलर का हो सकता है।

RADAG ने रिलायंस डिफेंस ऐंड एयरोस्पेस (RDA) नाम से एक कंपनी बनाई है। इस कंपनी में पूरा स्टेक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के पास है। रिलायंस इंफ्रा इंफ्रा से लेकर फाइनैंशल सर्विसेज और पावर तक बिजनस में है। लॉकहीड मार्टिन इंडिया के फॉर्मर मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश धींगरा को कंपनी का हेड बनाया गया है। ग्रुप ने बताया कि शुरुआत में RDA आर्म्ड फोर्सेज के लिए हेलिकॉप्टर बनाने के कॉन्ट्रैक्ट लेगी। RADAG के चेयरमैन ने कहा, ‘सरकार के मेक इन इंडिया अभियान ने देश में बड़ा डिफेंस इंडस्ट्रियल बेस बनाने का एकदम सही मौका दिया है।’

उन्होंने कहा कि ग्रुप का मकसद इस यूनिट के जरिए देश में वर्ल्ड क्लास टेक्नॉलजी लाना, यहां के लोकल स्किल सेट को बेहतर बनाना, डिफेंस प्रॉडक्ट्स का इंपोर्ट घटाना और नौकरियां पैदा करना है। सूत्रों ने बताया कि कंपनी टेक्नॉलजी अग्रीमेंट के लिए कुछ ग्लोबल दिग्गज फर्मों से बात कर रही है। इनमें फ्रांस की यूरोकॉप्टर, रूस की कामोव और अमेरिका की सिकोर्स्की शामिल हैं।

अभी इंडिया डिफेंस पर लगभग 40 अरब डॉलर सालाना खर्च करता है। इस रकम का लगभग 40 पर्सेंट यानी 16 अरब डॉलर नए इक्विपमेंट्स और प्रॉडक्ट्स की खरीदारी पर खर्च होता है। डिफेंस की लगभग 60 पर्सेंट खरीदारी विदेश से होती है। इसको देखते हुए सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम में लोकल डिफेंस प्रॉडक्शन पर खास फोकस किया है।

बीजेपी की नई सरकार ने डिफेंस प्रॉडक्शन में FDI रूल्स को उदार बनाकर इसकी लिमिट को 26 पर्सेंट से बढ़ाकर 49 पर्सेंट कर दिया है। इसमें केस के हिसाब से कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यॉरिटी की मंजूरी के बाद 49 पर्सेंट से ज्यादा फॉरन इन्वेस्टमेंट की इजाजत दी जा सकती है। यह तब होगा जब सरकार को लगेगा कि उसके साथ मॉडर्न और अत्याधुनिक टेक्नॉलजी आ सकती है। सरकार ने कहा था कि डिफेंस प्रॉडक्शन को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोले जाने से फॉरन इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स को लोकल कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करने, डोमेस्टिक मार्केट का फायदा उठाने और ग्लोबल मार्केट के लिए भी मैन्युफैक्चरिंग करने में मदद मिलेगी।

Navbharat Times

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