डिप्रेशन से निकालकर दे रहीं जिंदगी का फलसफा

पूनम गौर, नोएडा
सेक्टर-120 में रहने वाली पायल शर्मा उन महिलाओं की जिंदगी संवारने का काम करती हैं जो डिप्रेशन की शिकार हैं। वह कई ऐसी महिलाओं को इस सदमे से निकाल चुकी हैं जो आत्महत्या तक की कोशिश कर चुकी थीं। इतना ही नहीं, उन्होंने रेप पीड़ित बच्चियों को भी फिर समाज में वापस लाने में मदद की। पायल ने पहले खुद का मुकाम बनाया। जब उनकी शादी हुई तो वह सिर्फ ग्रैजुएशन कर पाई थीं। शादी के बाद उन्होंने खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए न सिर्फ दोबारा एजुकेशन शुरू की बल्कि अब सेक्टर-62 की एक एमएनसी में एचआर हैं।

फ्रेंड को देखकर मिला रास्ता
पायल के लिए नियति ने कुछ और ही राह चुनी थी। एक दिन उन्हें पता चला कि उनकी एक सहेली डिप्रेशन में हैं। उनकी शादी टूट गई थी, जिसकी वजह से बार-बार जान देने की बात कर रही थीं। पायल जब अपनी इस सहेली से मिलीं तो उनकी हालत देखकर वह परेशान हो गईं। पायल ने अपनी इस सहेली को दोबारा जिंदगी के करीब लाने में काफी मेहनत की। करीब दो महीने की कड़ी मेहनत और डॉक्टर्स की मदद के बाद उनकी दोस्त कुछ ठीक होने लगीं। उन्हें पूरी तरह ठीक होने में करीब 6 महीने का वक्त लगा। अब वह अपने पैरों पर खड़ी हैं और खुश हैं। पायल बताती हैं कि दोस्त के ठीक होने के बाद मुझे अहसास हुआ कि इस तरह की महिलाओं के लिए कुछ करना चाहिए। उन्हें सही राह दिखाई जाए तो वे अपने रास्ते खुद बना सकती हैं।

रेप विक्टिम की मदद
तभी से पायल ने इस तरह की महिलाओं के लिए काम करना शुरु किया। उन्होंने अपनी जॉब के साथ काउंसलिंग का कोर्स किया। कुछ काउंसलर्स और साइकोलजिस्ट के साथ जॉब के बाद काम किया और इनकी मानसिक हालत को समझा। उन्होंने ऐसी महिलाओं की काउंसलिंग की जो घरेलू हिंसा की शिकार होने के बाद आत्महत्या तक के प्रयास कर चुकी थीं। रेप की शिकार दो बच्चियों की भी मदद की जो घर से बाहर निकलने में भी डरती थी, उनकी भी काउंसलिंग की। रेप की शिकार बच्चियों से मिलकर वह खुद सहम गईं। वह बच्चियां न तो पढ़ना चाहती थीं और न ही घर से बाहर जाना चाहती थीं। जीने की चाह उनके अंदर खत्म हो गई थी। दो साल की मेहनत के बाद अब वह बच्चियां पढ़ाई शुरु कर चुकी हैं। हालांकि उन्हें अपना शहर छोड़ना पड़ा। वहां आसपास के लोग उन्हें बार बार वह दुखद घटना याद दिलाते थे।

सैलरी से हेल्प
पायल के इस काम में कुछ साइकॉलजिस्ट भी उनका साथ देते हैं। उनके ग्रुप मेंमबर्स डिप्रेशन से उबर चुकी महिलाओं के टच में रहते हैं, क्योंकि उनके दोबारा डिप्रेशन में आने के चांस अधिक होते हैं। ग्रुप के सभी लोग इस काम में हमारी मदद करते हैं। सभी अपनी सैलरी से 10-15 पर्सेंट हिस्सा इसी काम में लगाते हैं।

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