टैरिफ्स और रेगुलेटरी हस्तक्षेप पर टेलिकॉम कंपनियों में दिखे मतभेद

नई दिल्ली
इंडस्ट्री की आमदनी में तेज गिरावट के मुद्दे पर रिलायंस जियो और अन्य भारतीय टेलिकॉम ऑपरेटर्स के बीच मतभेद ईटी टेलिकॉम इंडिया मोबाइल कॉन्क्लेव 2018 में गुरुवार को भी दिखे। जियो ने आरोप लगाया कि पुराने बिजनस मॉडल्स पर दबाव बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है, वहीं उसकी प्रतिद्वंद्वियों ने कहा कि समय पर रेगुलेटरी हस्तक्षेप न किए जाने के कारण रेवेन्यू घट रहा है।

जियो के प्रेजिडेंट मैथ्यू ओमेन ने कहा, ‘अगर आपके पास पुरानी टेक्नॉलजी हो, पुराना बिजनस मॉडल हो और अक्षमता का स्तर ज्यादा हो तो कारोबारी लागत तो बढ़ेगी ही। कोई भी इंडस्ट्री रेगुलेटर और सरकार से ऐसा होने पर नहीं कह सकती कि आप हमें बचाएं।’

ओमेन ने यह बात तब कही, जब सेल्युलर्स ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज नेकहा कि रेगुलेटरों को बेहद तीखी होड़ वाले बाजारों में दखल देना चाहिए। वोडाफोन इंडिया के डायरेक्टर (रेगुलेटरी, एक्सटर्नल अफेयर्स एंड सीएसआर) पी बालाजी ने कहा कि सभी कंपनियों के लिए बराबरी का माहौल बनना जरूरी है।

टेलिकॉम इंडस्ट्री काफी समय से टैरिफ्स और रेगुलेटरी निर्णयों को लेकर विवादों में घिरी है। भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर ने आरोप लगाया है कि टेलिकॉम रेगुलेटर ने कई मामलों में जियो का पक्ष लिया है, वहीं ट्राई और जियो, दोनों ने इन आरोपों का खंडन किया है।

16 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स वाली जियो पर बेहद कम टैरिफ रखने का आरोप दूसरी कंपनियों ने लगाया है, जिसके चलते उन्हें भी अपने टैरिफ घटाने पड़े। इन कंपनियों को बढ़ते कर्ज और घटती आमदनी के बीच यह कदम उठाना पड़ा है। मैथ्यूज ने कहा कि टैरिफ वॉर मॉडल लंबी अवधि में कारगर नहीं होगा और ऐवरेज रेवेन्यू पर यूजर ग्लोबल ऐवरेज से बहुत कम है। उन्होंने कहा, ‘ग्लोबल ऐवरेज 75 डॉलर का है। हमारे यहां यह 3 डॉलर है।’

जियो ने हालांकि अपनी स्ट्रैटेजी का बचाव किया। वहीं ट्राई के सचिव एस के गुप्ता ने कहा कि रेगुलेटर ने कभी भी प्राइसेज फिक्स नहीं की हैं और प्राइसिंग मार्केट में उसके दखल देने की जरूरत भी नहीं है। गुप्ता ने कहा कि रेगुलेटर के दखल की जरूरत कुछ ही मामलों में पड़ती है।

वहीं भारती एंटरप्राइजेज के वाइस चेयरमैन अखिल गुप्ता ने कहा, ‘लंबे समय के बाद इंडस्ट्री का आकार ठीक दिख रहा है। एक सरकारी कंपनी सहित चार कंपनियों का होना इंडस्ट्री के स्ट्रक्चर के लिए ठीक है।’

वहीं टेलिकॉम मिनिस्टर मनोज सिन्हा ने कहा कि नैशनल टेलिकॉम पॉलिसी 2018 से इस सेक्टर में ग्रोथ बढ़ेगी और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा। इस सेक्टर को कंसॉलिडेशन के बाद अगले एक साल में 10-15 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है। सिन्हा ने कहा, ‘सरकार एक दमदार टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए प्रतिबद्ध है। आगामी टेलिकॉम पॉलिसी का मकसद ग्रोथ को बढ़ावा देना है, न कि इस सेक्टर को केवल रेवेन्यू पैदा करने वाले के रूप में देखना।’

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