जासूसी की दुनिया का रियल जेम्स बॉन्ड, पढ़ें अजीत डोभाल की पूरी कहानी

नई दिल्ली. NSA अजीत डोवाल भारत के इकलौते ऐसे पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा जा चुका है। हाल के पठानकोट हमले को सफल बनाने में उनका रोल काफी अहम है। 1980 के बाद से वह कई सिक्युरिटी कैंपेन का हिस्सा रहे। अपनी हिम्मत और जज्बे के बूते डोभाल ने जासूसी की दुनिया में कई ऐसी मिसालें कायम कीं, जिसने उन्हें दुनिया रियल जेम्स बॉन्ड बना दिया।   अजीत डोभाल: एक नजर में…   – 20 जनवरी, 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे अजीत डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की।  – केरल के 1968 बैच IPS अफसर डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए।  – पूरे करियर में डोभाल ने महज 7 साल ही पुलिस की वर्दी पहनी। उनका ज्यादातर समय खुफिया विभाग में बतौर जासूस गुजरा है। – 2005 में IB डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए।   – अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ थे।  – वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट भी रह…

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