जब मोहम्मद अली ने ट्रंप को दिया था करारा जवाब

वॉशिंगटन
विश्व के महानतम मुक्केबाजों में शुमार मोहम्मद अली ने 74 साल की उम्र में शुक्रवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। वह एक महान मुक्केबाज ही नहीं, बल्कि सिविल राइट और भेदभाव के खिलाफ बेबाक बोलने वाले भी थे। राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप के मुसलमानों को अमेरिका में नहीं घुसने देने वाले बयान का भी उन्होंने खुल कर विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ट्रंप को राजनीतिक फायदे के लिए नफरत फैलाने वाले बयान नहीं देने चाहिए।

अली के मन में अश्वेत होने की हीन भावना कभी नहीं दिखी। उन्होंने अफ्रीकन अमेरिकन्स के सिविल राइट के लिए खुलकर बोला। उन्होंने वियतनाम वॉर का भी विरोध किया था। अली ने का था, ‘मुझे वियत कॉन्ग (वियतनामी कॉम्युनिस्टों) से कोई शिकायत नहीं है। वियत कॉन्ग ने कभी मुझे हब्शी नहीं कहा।’

मोहम्मद अली नेशन ऑफ इस्लाम के समर्पित मेंबर थे। साल 1962 में मैल्कम एक्स के संरक्षण में वह इसमें शामिल हुए थे। जब उस साल नेशन ऑफ इस्लाम जॉइन करने की खबर फैली तो उसी दौरान का एक मुकाबला कैंसल कर दिया गया था। बाद में उन्होंने आधिकारिक रूप से 1964 में इसे जॉइन किया। इसके बाद उन्हें 2 ऑर्गेनाइजेशन के बॉक्सिंग टाइटल से हाथ धोना पड़ा। इसमें WBA भी शामिल था।

जल्द ही नेशन ऑफ इस्लाम के लीडर एलिजा मुहम्मद ने अली के पिता की भूमिका ले ली। आगे चलकर कैसियस क्ले नाम का शख्स मोहम्मद अली बन गया। इसके बाद अली को नेशन ऑफ इस्लाम छोड़ना पड़ा, क्योकि एलिजा मोहम्मद 1975 में सत्ता से बेदखल हो गए। बाद में अली ने सुन्नी इस्लाम को कबूल किया और फिर उन्होंने सूफीवाद को अपना लिया।

अमेरिका में कैलिफॉर्निया के सैन बर्नार्दिनो की मास शूटिंग में इस्लामिक स्टेट के दो पाकिस्तानी मूल के कट्टरपंथियों का नाम सामने आया था। इसके बाद डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका में गैरअमेरिकी मुस्लिमों की एंट्री को बैन करने की बात कही थी। जाहिर है ट्रंप का बयान मुस्लिम विरोधी था। ट्रंप ने मस्जिदों को भी निगरानी में रखने की सलाह दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले के बाद न्यू जर्सी में हजारों मुस्लिम जश्न मना रहे थे। अतीत में अली का ट्रंप से संबंध मैत्रीपूर्ण रहा था।

अली ने ट्रंप के इन बयानों की कड़ी निंदा की। अली ने कहा कि इस्लाम शांति का मजहब है। उन्होंने कहा कि ट्रंप को राजनीतिक फायदे के लिए नफरत फैलाने वाले बयान नहीं देने चाहिए। अली ने कहा था, ‘हमलोग मुसलमान के तौर पर उन लोगों के खिलाफ हैं, जो इस्लाम का इस्तेमाल पर्सनल अजेंडे को साधने में कर रहे हैं।’

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