गैरनकदी लेनदेन को ट्रैक करने के लिए ‘डेटाबेस’ बनाने को लेकर सरकार और RBI में चर्चा
|सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने काले धन को ट्रैक करने के लिए देश में सभी तरह के लेनदेन से जुड़े डेटाबेस को बनाने को लेकर चर्चा शुरू की है। इससे मनी लॉन्ड्रिंग और मुखौटा कंपनियों के फर्जीवाड़े को रोकने में मदद मिलेगी।
लेनदेन के डेटाबेस को लेकर आरबीआई के साथ सरकार की शुरुआती बातचीत मनी लॉन्ड्रिंग और मुखौटा कंपनियों पर लगाम लगाने वाले तमाम कदमों के बाद हुई है। वित्त मंत्रालय, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और कुछ जांच एजेंसियों ने मनी लॉन्ड्रिंग और शेल कंपनियों के खिलाफ हाल के दिनों में सिलसिलेवार ढंग से कार्रवाई की है।
चर्चा से वाकिफ एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने का प्रस्ताव है जहां देशभर में हुए सभी गैरनकदी लेनदेन का रिकॉर्ड मौजूद हो और जिन्हें जरूरत के हिसाब से साझा किया जाए।
लेनदेन का एक जगह रेकॉर्ड रहने से मुखौटा कंपनियों की पहचान करने और उनपर कार्रवाई का रास्ता आसान हो सकता है। मुखौटा कंपनियों का मनी लॉन्ड्रिंग के लिए ही इस्तेमाल होता है। इस तरह की कंपनियां आम तौर पर कम इक्विटी बेस वाली होती हैं और उनकी आय भी कम होती है लेकिन ये कंपनी-दर-कंपनी पैसे इधर से उधर करती हैं।
फिलहाल फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट संदिग्ध लेनदेनों और 10 लाख रुपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर निगाह रखती है लेकिन यह व्यवस्था अपने उद्देश्य की पूर्ति में कोई खास कारगर नहीं दिख रही है।
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