क्रूड के दाम में गिरावट से बढ़ीं ONGC विदेश की मुश्किलें

संजीव चौधरी, नई दिल्ली

कच्चे तेल के दामों में बड़ी कमी आने से ओएनजीसी विदेश के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं। कंपनी को लागत को कम और कैश फ्लो पॉजिटिव बनाए रखने में मुश्किल हो रही है। सरकारी कंपनी ऑइल ऐंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) की विदेशी यूनिट ओएनजीसी विदेश के पास 17 देशों में 36 ऑइल और गैस एसेट्स में हिस्सेदारी है। इस वजह से इसे कई तरह के पार्टनर्स के साथ डील करना पड़ता है।

विदेश में अधिकतर ऑइल और गैस फील्ड्स में ओएनजीसी जूनियर पार्टनर है। इन फील्ड्स में संबंधित देशों की नेशनल ऑइल कंपनियों या बड़ी प्राइवेट कंपनियों के पास मेजॉरिटी स्टेक है। इस वजह से कंपनी को इन फील्ड्स को लेकर अपनी मजबूती से रखने में दिक्कत होती है। ओएनजीसी विदेश के डायरेक्टर (ऑपरेशंस) पी के राव ने कहा, ‘हमें कई हितों में संतुलन बनाने की जरूरत होती है।’ कंपनी के पार्टनर्स के हित इनवेस्टमेंट से लेकर प्रॉडक्शन प्लान जैसे बहुत से मुद्दों पर अलग-अलग होते हैं।

इसके साथ ही सर्विस कॉन्ट्रैक्ट्स देने को लेकर भी विवाद होने की आशंका रहती है। राव ने बताया, ‘जब ऑइल प्राइसेज ऊंचे थे तो इन मुद्दों को लेकर कोई समस्या नहीं थी। लेकिन ऑइल प्राइसेज में कमी आने के बाद बहुत सी चीजों को लेकर पार्टनर्स को आश्वस्त करना महत्वपूर्ण है।’ राव वर्ष के अधिकतर समय विदेश यात्राओं पर रहते हैं क्योंकि उन्हें ग्लोबल ऑयल और गैस मार्केट के ट्रेंड्स के साथ ही उन देशों को लेकर भी जानकारी रखनी पड़ती है जहां कंपनी के ब्लॉक मौजूद हैं। बेहतर शर्तों के लिए उन्हें पार्टनर्स के साथ मोलभाव भी करना पड़ता है। राव ने कहा, ‘हमारे पास अपने पार्टनर्स को यह बताने का साहस होना चाहिए कि क्या गलत है। अगर हम बजट को लेकर सहमत नहीं होते, हम उन्हें बताते हैं और वे उसमें बदलाव करते हैं।’

उन्होंने कहा कि ऑइल के प्राइसेज कम होने की वजह से प्रत्येक रुपये का महत्व है और सभी फैसलों पर नजर रखी जानी चाहिए। पिछले दो वर्षों में ऑयल और गैस प्राइसेज में लगभग एक-तिहाई की कमी आई है। सोमवार को ब्रेंट क्रूड लगभग 41 डॉलर प्रति बैरल पर था। 2015-16 में ओएनजीसी विदेश ने 89 लाख टन ऑइल का प्रॉडक्शन किया है। इससे पिछले वर्ष में यह आंकड़ा 88.7 लाख टन का था। 2016-17 में प्रॉडक्शन में मामूली कमी आ सकती है।

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