क्या ICICI बैंक बोर्ड ने सीईओ चंदा कोचर को जल्दबाजी में दी क्लीन चिट?

मयूर शेट्टी, मुंबई
पति के दोस्त की कंपनी को लोन देने को लेकर सवालों में घिरीं ICICI बैंक की सीईओ चंदा कोचर को क्लीन चिट देने में बैंक बोर्ड ने जल्दबाजी दिखाई। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह जाने बिना कि जांच एजेंसियां की जांच किस ओर है, ICICI बैंक बोर्ड ने सीईओ चंदा कोचर पूरा विश्वास जता दिया। सीबीआई चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के दोस्त और वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत को दिए गए लोन में ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट’ की संभावनाओं की जांच कर रहा है।

यही नहीं बैंक बोर्ड में सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य अमित अग्रवाल और एलआईसी के वीके शर्मा बोर्ड की पिछली हफ्ते हुई मीटिंग में मौजूद नहीं थे। यह साफ नहीं है कि बोर्ड के निर्णय में इन दोनों की सहमति ली गई थी या नहीं। बैंक बोर्ड में केंद्र सरकार ने अमित अग्रवाल की जगह लोक रंजन को मनोनीत किया था। दोनों ही वित्तीय सेवा विभाग में जॉइंट सेक्रटरीज हैं।

सरकारी खेमे में ICICI बोर्ड द्वारा चंदा कोचर के बचाव में दिखाई गई तेजी को लेकर आंशकाएं हैं। 28 मार्च को बैंक बोर्ड ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि उन्हें एमडी और सीईओ पर पूरा विश्वास है और पक्षपात, भाई-भतीजावाद या ऐसी किसी काम का सवाल ही नहीं उठता।

बैंक बोर्ड के बयान के बाद सेबी के एक रजिस्टर्ड ऐनालिस्ट हिमेंद्र हजारी ने कहा था कि बोर्ड डायरेक्टर्स ने विसलब्लोअर द्वारा उठाए गए कुछ आरोपों का जवाब ही नहीं दिया है। एक नोट में उन्होंने कहा, ‘बोर्ड ने न ही तो कुछ खास आरोपों पर कोई जवाब दिया और न ही उस पर कोई जानकारी दी। क्या बोर्ड ने न्यूपावर और वीडियोकॉन के बीच हुई डीलिंग्स पर सफाई मांगी थी?’

हजारी ने टीओआई से बात करते हुए कहा, ‘मेरे विचार से बोर्ड को कम से कम एक बाहरी एजेंसी अपॉइंट करके आरोपों की जांच करवानी चाहिए थी और उसकी रिपोर्ट सीधे चेयरमैन के पास आनी चाहिए थी। सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य ने भी बोर्ड के बयान के बाद कोई स्टेटमेंट जारी किया जिससे पता चलता है कोई मतभेद नहीं था। इससे सरकार के लिए जरूर असहज स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि उनका प्रतिनिधि बोर्ड के साथ है वहीं दूसरी ओर सरकारी एजेंसी बैंक की जांच कर रही है।’

भले ही ICICI बैंक निजी क्षेत्र का बैंक है लेकिन यह पहले जॉइंट सेक्टर का बैंक रहा है जिसमें देश के वित्तीय संस्थानों की शेयरहोल्डिंग रही है। शेयरहोल्डिंग विदेशी इन्वेस्टर्स की अधिक है लेकिन सरकार और एलआईसी के नॉमिनी बोर्ड में जगह पाते रहे हैं।

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