क्या दिल्ली में बन पाएगी विपक्षी एकता की राह

नई दिल्ली
कर्नाटक विधानसभा में जो कुछ हुआ उससे कांग्रेस के हौसले तो बुलंद हैं, साथ ही बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता को फिर से नई जान मिलती दिखाई दे रही है। सवाल उठ रहा है कि राहुल ने जिस विपक्षी एकता की बात कही है, क्या दिल्ली में इसकी मिसाल दिखेगी, क्योंकि फिलहाल तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सीधे एक-दूसरे के आमने-सामने नजर आते हैं।

सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी के भीतर भी इसे लेकर मंथन चल रहा है कि क्या दिल्ली की सीटों पर किसी तरह का समझौता करने पर विचार किया जा सकता है लेकिन कांग्रेस के नेता इस तरह की किसी भी संभावना से खुलकर इनकार कर रहे हैं। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने इस बारे में कहा कि आम आदमी पार्टी बीजेपी की बी टीम की तरह है और उसके साथ कोई समझौते का सवाल ही नहीं उठता है। उनके मुताबिक आप ने कर्नाटक में भी अलग चुनाव लड़ा था और दिल्ली में भी ऐसी कोई संभावना नहीं है।

वहीं आप से जुड़े सूत्रों का कहना है कि विपक्षी एकता के लिए जल्द ही पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी नेता ममता बनर्जी बड़ा कदम उठा सकती हैं, जिसके बाद अभी तक जो विपक्षी एकता की थिअरी चल रही है वह जमीन पर भी दिखाई देगी। सूत्रों का कहना है कि इसमें आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की भी भूमिका होगी। आप के एक नेता के मुताबिक जब देश भर में विपक्षी एकता होगी और बीजेपी जैसी विभाजनकारी ताकतों को हराने के लिए सभी विपक्षी दल अपने आपसी मतभेद भूलकर साथ आएंगे तो दिल्ली में भी बीजेपी को हराने के लिए ऐसा कोई कदम उठाने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन जो भी फैसला होगा वह देश हित में और दिल्ली के लोगों के हित में होगा।

अभी दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के आमने सामने खड़ी दिखाई देती है लेकिन लोकसभा चुनाव तक यह कड़वाहट कम करने की कोशिश भी दिख सकती है। वैसे भी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अपनी पहली सरकार कांग्रेस के सहयोग से ही बनाई थी।

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