कौन नहीं था सचिन को पसंद?

मंबई
सचिन भले ही क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कह चुके हों लेकिन उनके करियर से जुड़े सवाल प्रशंसकों के सवाल उनका पीछा इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाले। यहां आयोजित एक कार्यक्रम में सचिन ने कुछ बातें साझा कीं-

हैंसी क्रोन्ये का सामना करना नहीं था पसंद
तेंदुलकर ने एक प्रचार कार्यक्रम के दौरान खुलासा किया उन्हें दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये का सामना करना पसंद नहीं था। उन्होंने कहा, ”1989 में जब से मैंने खेलना शुरु किया तब से कम से कम 25 विश्व स्तरीय गेंदबाज मौजूद थे। लेकिन जिनके खिलाफ बल्लेबाजी का मैंने लुत्फ नहीं उठाया वह हैंसी क्रोन्ये थे। किसी ना किसी कारण से मैं आउट हो जाता था और मुझे महसूस होने लगा था कि मैं गेंदबाजी छोर पर खड़ा ही अच्छा हूं।” इस दिग्गज बल्लेबाज ने कहा, ”पिच पर जो भी दूसरा बल्लेबाज होता था मैं उसे कहता था कि अगर दूसरे छोर से (एलेन) डोनाल्ड या (शान) पोलाक गेंदबाजी कर रहा है तो मैं उसका सामना कर लूंगा लेकिन हैंसी की गेंद पर अधिक स्ट्राइक तुम रखो।”

1999 की आस्ट्रेलिया श्रृंखला सबसे कड़ी

महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने 24 साल के अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान 1999 में आस्ट्रेलिया में हुई श्रृंखला को सबसे कड़ी करार दिया है। तेंदुलकर ने कहा, ”इसमें कोई संदेह नहीं कि सबसे कड़ी श्रृंखला 1999 की थी जब हम आस्ट्रेलिया गए थे और उनकी टीम बेजोड़ थी। उनकी टीम में सात से आठ मैच विजेता थे और बाकी खिलाड़ी भी काफी अच्छे थे। यह ऐसी टीम थी जिसने विश्व क्रिकेट में कई वर्षों तक दबदबा बनाया। उनकी खेलने की अपनी शैली थी, काफी आक्रामक।” स्टीव वॉ की टीम ने तीन मैचों की इस श्रृंखला में पूरी तरह से दबदबा बनाते हुए भारत का 3-0 से वाइटवॉश किया था। तेंदुलकर ने कहा कि अन्य टीमें की आस्ट्रेलिया के खेलने की शैली को सराहती थी और ऐसा ही खेलना चाहती थी। उन्होंने कहा, ”मुझे अब भी याद है कि मेलबर्न, एडिलेड और सिडनी में उन्होंने जिस तरह का क्रिकेट खेला उससे पूरी दुनिया प्रभावित हुई। सभी इसी तरह का क्रिकेट खेलना चाहते थे। हालांकि हम सभी अपने खेलने के तरीके का सम्मान करते हैं लेकिन सभी को लगता था कि उन्होंने जो क्रिकेट खेला वह विशेष था।” तेंदुलकर ने कहा, ”वे लगातार ऐसा प्रदर्शन करने में सफल रहे। वह विश्व स्तरीय टीम थी।”

टेस्ट क्रिकेट सबसे प्रिय

खेल के सबसे लंबे प्रारुप को अपना पसंदीदा बताते हुए तेंदुलकर ने कहा, ”अगर मुझे टेस्ट और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की तुलना करनी पडे़ तो नि:संदेह सबसे अधिक संतोष तब मिलता है जब आप टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करो और टीम के लिए कुछ विशेष करो।”

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