केंद्र ने राज्यों से जून अंत तक लैंड बैंक बनाने को कहा

दिलाषा सेठ, नई दिल्ली

सेंट्रल गवर्नमेंट ने राज्य सरकारों से इस साल जून के अंत तक लैंड बैंक डिवेलप करने के लिए कहा है ताकि इंडस्ट्री को जरूरत पड़ने पर तुरंत जमीन दी जा सके। वह इसके लिए राज्य सरकारों पर इसलिए जोर डाल रही है कि वह ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में तेजी लाना चाहती है। यह उन 98 पॉइंट्स में एक है, जिनके हिसाब से राज्यों में कॉम्पिटिशन को बढ़ावा देने के लिए उनकी रैंकिंग की जाएगी।

राज्यों से इंडस्ट्री टाइप के हिसाब से लैंड पार्सल तय करने के लिए एक फ्रेमवर्क डिवेलप करने के लिए कहा गया है। दूसरे मानकों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, बिजनस स्टार्टिंग, कंस्ट्रक्शन परमिट्स, एनवायरमेंट कंप्लायंस वगैरह को शामिल किया गया है। DIPP के एक टॉप ऑफिसर ने कहा, ‘डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट जो कर सकती है, उसने उसका ऐलान बजट में कर दिया है। इसको अंजाम देने की जिम्मेदारी राज्यों पर है। हम राज्यों के साथ मिलकर गंभीरता से काम कर रहे हैं और हमने उनसे इन पैरामीटर्स के हिसाब से तुरंत कदम उठाने के लिए कहा है। इसी के हिसाब से उनकी रैंकिंग की जाएगी।’

इस कदम को पिछले हफ्ते जारी यूनियन बजट से जोड़ कर देखा जा रहा है। उसमें लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उपायों का ऐलान किया गया है। इनमें ड्यूटी स्ट्रक्चर की विसंगतियों को दूर करना और SME के लिए लोन का एक्सेस आसान बनाना शामिल है। एक अनुमान के मुताबिक, 2014-15 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 6.8 पर्सेंट रह सकती है।

इंडिया 2015 में वर्ल्ड बैंक की 189 देशों की ईज ऑफ डुइंग बिजनस (बिजनस में आसानी) रैंकिंग में दो पायदान फिसलकर 142 पर आ गया है। सरकार ने देश को अगले कुछ वर्षों में टॉप 50 में शामिल कराने का टारगेट फिक्स किया है। DIPP ने राज्यों को भेजे संदेश में उनको 31 मई तक सिंगल विंडो ऑनलाइन मैकेनिज्म अपनाने का सुझाव दिया है। इस ऑनलाइन मैकेनिज्म में रजिस्ट्रेशन, ऐप्लिकेशन, ऐप्लिकेशन की ट्रैकिंग और मॉनिटिरिंग शामिल होगी। इससे यंग प्रफेशनल्स को ऑन्त्रप्रेन्योर बनने के लिए बढ़ावा मिलेगा।

आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘लैंड और बिजनस राज्यों का मामला है। देश को इस बात की जरूरत है कि जॉब ढूंढने वालों के मुकाबले ज्यादा जॉब पैदा की जा सकें।’ इसी तरह, सेंटर ने अपने सुझाव में कहा है कि सभी राज्यों को सभी लेवी और टैक्स के ऑनलाइन पेमेंट की इजाजत देनी चाहिए। उसने राज्यों के सभी टैक्स के लिए सिंगल रजिस्ट्रेशन और आईडी का सुझाव दिया है। उसने अपने सुझाव में 60 दिन के भीतर सीधे फर्म के अकाउंट में पेमेंट भेज कर वैट रिफंड को सिंपल बनाने के लिए कहा है।

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Navbharat Times

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