काशी में मुस्लिम महिलाओं ने आरती उतारकर लिया गुरु का आर्शीवाद

विकास पाठक, वाराणसी
धर्म नगरी काशी में रविवार को गुरु पूर्णिमा का दिन बेहद खास रहा। बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी हिन्दू धर्म गुरुओं का आर्शीवाद लेने पहुंचे, इनमें महिलाएं भी शामिल रहीं। काशी में गुरु-शिष्य परंपरा के अनूठे समागम के लिए सुबह से ही आश्रम-मठों के बाहर लाइनें लग गईं थीं। दिन चढ़ने के साथ बारिश के बावजूद भी शिष्यों की भीड़ बढ़ती गई। अघोरेश्वर भगवान अवधूत राम आश्रम से लेकर गड़वा घाट, शंकाराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के विद्या मठ के बाहर तथा आसपास इलाकों में मेले जैसा नजारा देखने को मिला।

सबसे अलग पातालपुरी मठ का नजारा रहा, यहां मुस्लिम समुदाय के लोग पीठाधीश्वर महंत बालक दास का आर्शीवाद लेने पहुंचे। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी के साथ मुस्लिम महिलाओं ने महंत बालक दास को अंगवस्त्र और गुलाब का फूल भेंट करने के साथ उनकी आरती उतारकर आर्शीवाद लिया। हनुमान चालीस फेम नाजनीन ने स्वरचित ‘उर्दू श्रीराम आरती’ भी भेंट की, तो मो. मजीद अंसारी की अगुवाई में मुस्लिम शिष्यों ने माला पहनाकर उनका सम्मान किया।

इस मौके पर महंत बालकदास ने कहा कि रामानंद ने कबीर को शिष्य बनाकर जो परंपरा शुरू की थी, आज वही भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए जरूरी बन गई है। कोई भी पीठ और धर्माचार्य को इंसानों में भेद नहीं करना चाहिए। गुरु सभी को ज्ञान देता है और ज्ञान जाति-धर्म का मोहताज नहीं है। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर ने कहा कि जब मुसलमान होकर कबीर निर्गुण राम की प्रशंसा कर सकते हैं तो आज हम धर्म-जाति को इंसानियत से उपर क्यों मानते हैं ? गुरु के बिना ज्ञानी नहीं और गुरु-शिष्य के बीच धर्म-जाति का भेद नहीं हो सकता है।

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