कारपोरेट घरानों को बैंक कर्ज जोखिम कम करने का रिजर्व बैंक का प्रस्ताव
|रिजर्व बैंक ने कंपनियों को कर्ज देने की व्यापक रूपरेखा में कहा है, सामान्य परिस्थितियों में ंप्रत्येक काउंटरपार्टी और आपस में जुड़ी काउंटरपार्टियों के समूह को दी जाने वाली बड़ी रिण राशि :एलई: सीमा को उनके योग्य पूंजी आधार के क्रमश: 20 और 25 प्रतिशत पर सीमित रखा जाना चाहिये।
योग्य पूंजी आधार को मौजूदा पूंजी कोष के बजाय बैंकों की टीयर-एक पूंजी के मुताबिक परिभाषित किया जायेगा।
आपस में जुड़ी कर्ज लेने वाली कंपनियों के समूह को उनके नियंत्रण और आपस में आर्थिक निर्भरता के मानदंड के आधार पर पहचान की जायेगी।
रिजर्व बैंक ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणियां आमंत्रित करते हुये कहा है कि प्रस्तावित बड़े कर्ज देने की इस रूपरेखा को 31 मार्च, 2019 से पूरी तरह अमल में लाया जायेगा।
बैंकिंग निरीक्षण पर गठित बासेल समिति ने भी बड़े कर्ज देने की सीमा को उनकी पूंजी के साथ जोड़ने की जरूरत पर बल दिया है।
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