काम के ‘मोड’ में सरकार, लेकिन राजनिवास का ही सहारा

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

पिछले कई माह से केंद्र सरकार व पूर्व उपराज्यपाल से ‘लोहा’ ले रही दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार अब काम के ‘मोड’ में नजर आती दिख रही है। मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री विभागों के अफसरों के साथ बैठकें कर विकास योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं तो दिल्ली के लोगों के हित में कई घोषणाएं की जाने लगी हैं। लेकिन ये जनहितैषी योजनाएं तब ही सिरे चढ़ पाएंगी, जब इन्हें राजनिवास पारित कर देगा। वरना यह योजनाएं पहली योजनाएं की तरह ही पैंडिंग मानी जाएंगी। माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार को अभी भी राजनिवास की ओर ही ताकते रहना होगा।

मुख्यमंत्री ने कल विभिन्न विभागों के अफसरों के साथ अलग-अलग मीटिंग कर विकास कार्यों व प्रमुख प्रोजेक्ट की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को समय पर सभी विकास कार्य पूरे करने व कार्यों की प्रगति रिपोर्ट निरंतर पेश करने के निर्देश दिए। बैठक में कुछ योजनाओं की लेटलतीफी पर सीएम ने नाराजगी जताई और उन्हे जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। सूत्रों के अनुसार पूरी दिल्ली में सरकार के 50 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, जिन्हें समय पर पूरा करने को कहा गया है। ऐसी ही बैठकें पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने भी की और अफसरों को प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने के निर्देश जारी किए।

कामकाज की गति बढ़ाने को लेकर कल दिल्ली सरकार की कैबिनेट में कई लोकलुभावन योजनाएं पारित की गईं। जिनमें दुर्घटना में घायल को अस्पताल ले जाने पर दो हजार की पुरस्कार राशि, बुजुर्ग व विधवा पेंशन में इजाफा के अलावा मेट्रो के फोर्थ फेज को भी मंजूरी दे दी गई है और इसके लिए बजट भी निर्धारित कर दिया गया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह योजनाएं एकदम से लागू नहीं होने जा रही हैं। पहले इन्हें राजनिवास भेजा जाएगा और वहां उपराज्यपाल अनिल बैजल अगर इन्हें पारित कर देते हैं तो यह लागू हो जाएंगी, वरना इन्हें और प्रोजेक्ट की तरह पैंडिंग ही माना जाएगा। सरकार के वित्त विभाग के एक आला अधिकारी ने भी माना कि इन घोषणाओं और प्रोजेक्ट की सभी फाइलों को राजनिवास भेजना ही होगा।

संविधान विशेषज्ञ व संसद में सचिव रहे एसके शर्मा के अनुसार यह बात भूलनी नहीं चाहिए कि दिल्ली सीधे तौर पर केंद्र शासित प्रदेश है और इसका मुखिया मुख्यमंत्री नहीं बल्कि उपराज्यपाल हैं। कल जो घोषणाएं की गई हैं, वह वित्तीय मसलों से जुड़ी है, इसलिए उन्हें तो हर हाल में उपराज्यपाल से पारित कराना होगा। दिल्ली का जो प्रशासनिक ढांचा है, उसके अनुसार महत्वपूर्ण फाइलों की तो बात छोड़िए, दिल्ली सरकार की सामान्य फाइलें भी राजनिवास से पारित कराना जरूरी है। फिलहाल देखना होगा कि सरकार की इन लोकलुभावन योजनाओं पर उपराज्यपाल क्या रुख अपनाते हैं। अगर ये फाइलें क्लियर हो गई तो सरकार और राजनिवास के बीच संबंध ‘सौहार्दपूर्ण’ हो जाएंगे, वरना टकराव की स्थिति एक बार से शुरू हो सकती है।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

दिल्ली समाचार, खबर, हिन्दी Political News Delhi