कपिल को गोयल के न्योते से बीजेपी में क्यों है बेचैनी

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू हुए ‘संपर्क से समर्थन’ अभियान के तहत रविवार को दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष विजय गोयल का आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा के घर जाना दिल्ली बीजेपी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा है। हाल में प्रदेश के पदाधिकारियों की मीटिंग में पार्टी के एक नेता ने प्रदेश की टीम से अलग पैरलल ऐक्टिविटीज चलाने का आरोप लगाया था।

रविवार को प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी जनसंपर्क अभियान के तहत साउथ दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बाइक रैली निकाल रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ विजय गोयल तिवारी के ही संसदीय क्षेत्र में रहने वाले आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा के घर पहुंचे थे। गोयल के इस कार्यक्रम की जानकारी तिवारी को भी एक शाम पहले ही उस वक्त मिली, जब गोयल के ऑफिस से मीडिया को इस बारे में मेसेज भेजा गया। मीटिंग के दौरान गोयल ने कपिल मिश्रा को यह कहकर बीजेपी में शामिल होने का औपचारिक न्योता भी दे डाला कि बीजेपी के दरवाजे हमेशा उनके लिए खुले हैं।

वहीं कपिल मिश्रा ने भी अपने बयान से यह साफ कर दिया कि वह भी बीजेपी में आने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। गोयल के न्योते पर कपिल का जवाब था कि ‘जब कौरव इकट्ठे हो रहे हैं, तो पांडवों को भी इकट्ठा होना पड़ेगा।’ उनका इशारा लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच होने वाले संभावित गठबंधन की तरफ था, जिसके बारे में पिछले कुछ दिनों से खबरें आ रहीं हैं। बीजेपी के कुछ नेता इस बात से परेशान हैं कि जब गोयल को पार्टी के अंदर प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर अभी कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है, तो किस नाते उन्होंने कपिल को बीजेपी में आने का न्योता दिया।

इससे पहले उन्होंने मनोज तिवारी के ही संसदीय क्षेत्र में स्थित एक सरकारी स्कूल में सरप्राइज विजिट करके उस स्कूल की बदहाली को लेकर दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा किया था और सुधार के लिए एमपी फंड से 25 लाख रुपये भी दिए थे। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में लैंडफिल साइट के मसले पर भी उन्होंने अपना पक्ष अलग से रखा था। सीलिंग के मसले पर भी वह लगातार सक्रिय रहे। इस बारे में विजय गोयल का कहना है कि वह दिल्ली में लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। इसका अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि वह पार्टी से अलग होकर कुछ करना चाह रहे हैं या किसी पद के लालच में ऐसा कर रहे हैं। गौरतलब है कि गोयल इन दिनों राजस्थान से राज्यसभा के सांसद और मोदी सरकार में संसदीय कार्य राज्यमंत्री हैं।

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