एक्सप्रेस के कारण ग्रामीणों को लगा कार गिनने और अंग्रेजी फिल्में देखने का शौक

शैलवी शारदा, कानपुर
कहते हैं कि सड़कें विकास लाती हैं। एक्सप्रेसवे के बनने पर विकास का पैमाना बढ़ जाएगा, ऐसी दलीलें दी जाती हैं। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के बनने और शुरू होने के बाद यहां आसपास बसे गांवों में क्या बदलाव आया, यह जानना हो तो अरवल आइए। अरवल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यहां से 85 किलोमीटर दूर है। CM अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के विधानसभा क्षेत्र कन्नौज की ओर जाते हुए यह गांव सबसे पहले आएगा। एक्सप्रेसवे के शुरू होने से पहले यहां के बच्चे चाहे जितने भी तरह के खेल खेलते हों, लेकिन इन दिनों उनका ज्यादातर समय एक नए खेल में जाता है। एक्सप्रेसवे से गुजरने वाली कारों को देखना और उनकी गिनती करना इन बच्चों को बहुत भाता है।

यहां के बच्चे आपको कभी तो अपने मोबाइल फोन पर गेम खेलते हुए दिखेंगे या फिर एक्सप्रेसवे से होकर गुजरने वाली महंगी कारों की गिनती करते हुए। इस गांव में 250 किसान परिवार रहते हैं। ऐसा लगता है कि इन सब को हॉलिवुड में दिलचस्पी है। अंग्रेजी थ्रिलर फिल्मों की हिंदी डबिंग वाली फिल्में फिल्मों का कारोबार यहां खूब फल-फूल रहा है। इन्हें फिल्में भी वही पसंद आती हैं जहां रेस लगाती तेज रफ्तार कारें दिखती हों। फिल्मों का यह प्यार भी शायद एक्स्प्रेस और उससे होकर गुजरने वाली महंगी कारों के कारण ही उपजा है।

इस गांव के कई लोगों की जमीन एक्सप्रेसवे के लिए ली गई है। 250 किसानों में से केवल 35 को ही जमीन का मुआवजा मिला है। यहां के जनगणना आंकड़ों की बात करें, तो गांव के करीब 40 फीसद घर घास-फूस या फिर मिट्टी के बने हुए हैं। यहां रहने वाले लोगों के परिवार में औसतन 5 सदस्य हैं, लेकिन करीब 70 फीसद घरों में एक या दो कमरे ही हैं। गांव के लगभग 60 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन है, जबकि हर चार घरों में से एक के पास टीवी या फिर रेडियो है।

शिवम और मोनू भी इसी गांव में रहते हैं। दोनों एक्सप्रेसवे के किनारे खड़े होकर कारों की रफ्तार का अमुमान लगा रहे थे। दोनों में से जो भी सबसे ज्यादा कारों की सही रफ्तार बताएगा, वह जीत जाएगा। शिवम ने बताया, ‘कार देखने में बड़ा मजा आता है।’ इसपर मोनू ने कहा, ‘किक मिलती है।’ दोनों ही 10वीं क्लास में पढ़ते हैं। उनके बड़े भाई शोभित और अभिषेक भी साथ हैं। यूं कारों को देखना उन्हें क्यों अच्छा लगता है, इस बात का जवाब देते हुए शोभित कहता है, ‘कार की आवाज व्रूम व्रूम व्रूम सुनने में मजा आता है।’ अभिषेक का कहना है कि एक्स्प्रेसवे से तेज रफ्तार गाड़ियों को गुजरते हुए देखना ऐसा ही है कि लाइव कार रेसिंग देख रहे हों। वह कहता है, ‘टीवी और फिल्म में कार दिखती है। वही सामने दिखती है तो अच्छा लगता है।’

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें: Counting cars new passion in this Kanpur village

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